कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी शादी या इंटरव्यू के लिए निकले हों, और गूगल मैप्स आपको “आपकी मंज़िल पहुँच चुकी है” बोल दे — और आप खड़े हों किसी अजनबी की छत पर? अगर हाँ, तो स्वागत है उस क्लब में जहाँ हर भारतीय ड्राइवर कभी न कभी भटका है! अब मैदान में एक नया खिलाड़ी उतरा है — मैपल्स, यानी भारत का अपना नक्शा ऐप।
आज का दौर ऐसा है कि अगर मोबाइल में इंटरनेट है तो रास्ता भूलना लगभग नामुमकिन है। हर किसी की जेब में एक डिजिटल नक्शा होता है जो हमें मंज़िल तक पहुँचा देता है। लेकिन अब सवाल उठता है — क्या सचमुच सिर्फ गूगल मैप्स ही भरोसेमंद है?
भारत में अब एक नया नाम तेजी से लोकप्रिय हो रहा है — मैपल्स, जो कि पूरी तरह भारतीय सोच से बना नेविगेशन ऐप है।
गूगल मैप्स की सबसे बड़ी ताकत है उसकी वैश्विक पहुँच। वह लगभग हर देश में काम करता है, लेकिन भारत जैसे विविध और जटिल देश में उसकी सटीकता हर जगह एक जैसी नहीं होती। छोटे कस्बों, गलियों या ग्रामीण रास्तों में कई बार रास्ते की जानकारी अधूरी मिलती है।
वहीं मैपल्स का ध्यान सिर्फ भारत पर केंद्रित है। यह ऐप हर शहर, गली, मोहल्ले और गाँव तक की जानकारी बहुत विस्तार से देता है। इसमें ई-लोकेशन कोड प्रणाली है, जिसके ज़रिए किसी भी पते को एक अलग पहचान कोड में बदला जा सकता है। इससे पता साझा करना बहुत आसान हो जाता है।
जहाँ तक यातायात की जानकारी का सवाल है, गूगल मैप्स वास्तविक समय में जाम की स्थिति, दुर्घटना की सूचना और वैकल्पिक रास्ते बताने में माहिर है। लेकिन मैपल्स ने भारतीय परिस्थितियों के हिसाब से कुछ खास सुविधाएँ दी हैं — जैसे चौराहे का दृश्य और गति सीमा चेतावनी। इससे चालक को पहले से पता चल जाता है कि आगे कौन-सा चौराहा आने वाला है और अधिकतम गति कितनी होनी चाहिए।
गोपनीयता के मामले में दोनों ऐप में बड़ा अंतर है। गूगल मैप्स का संचालन विदेशी कंपनी करती है और इसका मुख्य मॉडल उपयोगकर्ता के आँकड़ों पर आधारित होता है, ताकि विज्ञापन सही जगह दिखाए जा सकें।
दूसरी ओर, मैपल्स का दावा है कि उसका सारा डेटा भारत के भीतर सुरक्षित रखा जाता है और उसका उद्देश्य विज्ञापन नहीं बल्कि उपयोगकर्ता की सुरक्षा है। यह बात उन लोगों के लिए बहुत मायने रखती है जिन्हें अपने डेटा की निजता की चिंता रहती है।
उपयोग का अनुभव भी दोनों में अलग है। गूगल मैप्स का रूप और कामकाज बेहद सरल और वर्षों से परखा हुआ है, लेकिन मैपल्स में भारतीयता की झलक है। इसमें बिजली से चलने वाले वाहनों के चार्जिंग केंद्र, टोल बूथ की स्थिति, पेट्रोल दरें और यहाँ तक कि भारतीय लहजे में आवाज़ निर्देश जैसे विकल्प हैं, जो इसे घरेलू उपयोगकर्ताओं के और करीब लाते हैं।
कुल मिलाकर, गूगल मैप्स अपनी वैश्विक पहचान और व्यापक दायरे के कारण अब भी भरोसेमंद है, लेकिन मैपल्स ने यह दिखा दिया है कि भारत के नक्शे अब सिर्फ विदेशी हाथों से नहीं बनेंगे। यह ऐप भारतीय सड़कों, कस्बों और आम यात्रियों की ज़रूरतों को समझता है — और शायद यही इसकी सबसे बड़ी ताकत है।
अब यह मुकाबला सिर्फ दिशा दिखाने का नहीं, बल्कि यह साबित करने का है कि कौन भारत को बेहतर जानता है — वैश्विक नक्शा या देसी दृष्टि।
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