हाल ही में नेपाल ने अपने 100 रुपये के नोट पर भारत के तीन विवादित इलाकों — लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख — का नक्शा छापा है, जिसने भारत में कड़ा राजनीतिक और कूटनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। ये वही क्षेत्र हैं जिन्हें भारत अपनी संप्रभुता वाला हिस्सा मानता है और जिन पर दशकों से सीमा विवाद चल रहा है। नेपाल का यह कदम न केवल भारत की संप्रभुता के लिए चुनौती है बल्कि यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी खतरा बन सकता है। सवाल उठता है कि आखिर नेपाल किस अधिकार से अपनी मुद्रा पर भारत के अंदरूनी हिस्सों को शामिल कर रहा है?

नेपाल का यह कदम स्पष्ट रूप से भारत के खिलाफ एक राजनीतिक बयान है। मुद्रा एक देश की संप्रभुता का प्रतीक होती है और इसमें भारत के अंदरूनी हिस्सों को छापना न केवल भारत की संप्रभुता का उल्लंघन है बल्कि यह क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा भी है। यह कोई संयोग नहीं, बल्कि जानबूझकर भारत की संप्रभुता पर सवाल उठाने की रणनीति लगती है।
इस कदम के पीछे नेपाल की सरकार की ओर से भारत के 2019 के आधिकारिक नक्शे को चुनौती देना भी माना जा रहा है, जिसमें इन क्षेत्रों को भारत का हिस्सा घोषित किया गया था। नेपाल ने इस नक्शे को स्वीकार करने से मना कर दिया था और अब अपनी मुद्रा पर इसे छापकर भारत को चुनौती दे रहा है।
इस मुद्दे पर विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार से सख्त रुख अपनाने की मांग की है। विपक्षी आरोप लगाते हैं कि सरकार नेपाल की इस हरकत के आगे कमजोर पड़ रही है। हालांकि यह राजनीतिक दांव हो सकता है, पर यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है, जिस पर किसी भी कीमत पर समझौता नहीं होना चाहिए।
सरकार ने फिलहाल कूटनीतिक स्तर पर जवाब देने की कोशिश की है, लेकिन भारत को चाहिए कि वह इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाए और कड़ी कार्रवाई करे ताकि पड़ोसी देशों को संदेश मिले कि भारत अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए गंभीर है।
नेपाल एक छोटा पड़ोसी देश है जो आर्थिक और राजनीतिक रूप से भारत के मुकाबले कमजोर है। फिर भी वह अपने नक्शे और मुद्रा के जरिए भारत के अंदरूनी हिस्सों पर दावा करता है। यह कदम नेपाल की आंतरिक राजनीति को मजबूत करने, भारत विरोधी रुख दिखाने और चीन के बढ़ते प्रभाव को साधने की रणनीति हो सकता है।
चीन भी इस क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में नेपाल की यह हरकत केवल द्विपक्षीय नहीं, बल्कि क्षेत्रीय रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का हिस्सा भी हो सकती है।
लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख भूगोल, रणनीति और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। ये क्षेत्र हिमालय की ऊंचाईयों पर हैं, जो भारत की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। साथ ही, यहां की सांस्कृतिक विरासत और जनजीवन भारत की अखंडता का हिस्सा हैं।
नेपाल द्वारा 100 रुपये के नोट पर भारत के तीन विवादित इलाकों को शामिल करना केवल एक नक्शा या मुद्रा की बात नहीं है, बल्कि यह भारत की संप्रभुता पर सीधा हमला है। भारत को चाहिए कि वह इस मामले में सख्ती दिखाए और स्पष्ट कर दे कि उसकी सीमाओं पर किसी भी तरह के दावों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस तरह के कदम भारत के लिए स्वाभिमान और राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल हैं, जिन पर कोई समझौता संभव नहीं।
तीन विवादित इलाके: लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख
लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित हैं, जो भारत-नेपाल-चीन के संगम क्षेत्र के पास स्थित सीमावर्ती इलाके हैं। ये इलाके भारत की सुरक्षा और रणनीति के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
- लिम्पियाधुरा नदी के किनारे स्थित क्षेत्र है, जिस पर नेपाल अपना दावा करता है, जबकि भारत इसे अपना हिस्सा मानता है।
- कालापानी एक सीमा चौकी है जहां भारतीय सशस्त्र बल तैनात हैं, मगर नेपाल इसे भी अपनी सीमा मानता है।
- लिपुलेख ऊंचे पठार वाला क्षेत्र है, जो रणनीतिक दृष्टि से अहम है। भारत ने इसे अपने आधिकारिक नक्शे में शामिल किया है, लेकिन नेपाल इसका विरोध करता है।
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