कुछ जख्म ऐसे होते हैं, जो वक्त के साथ भी नहीं भरते। 1947 का बँटवारा भी ऐसा ही एक जख्म है। यह सिर्फ ज़मीन के नक्शे बदलने की कहानी नहीं, बल्कि रिश्तों, मोहल्लों और सपनों के टूट जाने की दास्तान है।
14 अगस्त का दिन पाकिस्तान के लिए आज़ादी का दिन है, लेकिन भारत के लिए यह यादों का एक भारी बोझ है। यह दिन उन लाखों चेहरों, अधूरी कहानियों और बिछड़े रिश्तों को याद दिलाता है, जिन्हें बँटवारे ने हमेशा के लिए बदल दिया।
2021 से हर साल 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया जाता है, ताकि हम उस समय हुए दर्द, बलिदान और विस्थापन को याद रख सकें।
क्यों मनाया जाता है यह दिन
यह दिन हमें 1947 के बंटवारे के दौरान झेले गए दर्द और संघर्ष की याद दिलाता है। लाखों लोग अपनी जन्मभूमि, मकान, खेत और यादें छोड़कर अनजान जगहों की ओर निकलने को मजबूर हुए। हजारों परिवार एक ही रात में बिखर गए। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने का उद्देश्य है कि हम इतिहास के इस कड़वे अध्याय को भूलें नहीं, और यह सुनिश्चित करें कि ऐसा दुःख फिर कभी न दोहराया जाए।
मानव त्रासदी का पैमाना
भारत का बंटवारा सिर्फ राजनीतिक घटना नहीं थी, बल्कि एक ऐसी मानवीय त्रासदी थी जिसने करोड़ों लोगों को प्रभावित किया। अनुमान है कि एक करोड़ से अधिक लोग विस्थापित हुए और करीब दस से बीस लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई। सीमाओं के दोनों ओर हिंसा और खूनखराबा हुआ। गांव खाली हो गए, रिश्ते टूट गए, और लोगों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई।
पीढ़ियों पर असर
विभाजन का असर सिर्फ उसी दौर के लोगों तक सीमित नहीं रहा। जिन परिवारों ने अपना सब कुछ खोया, उनकी अगली पीढ़ियां भी इस दर्द के साथ जी रही हैं। विस्थापन ने उनकी भाषा, संस्कृति और पहचान को बदल दिया। कई लोग अब भी अपने पूर्वजों के गांव, खेत और घर की कहानियां सुनाते हैं, जिन्हें वे कभी देख नहीं पाए। यह दर्द भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में आज भी महसूस होता है।
यादें जो मिटती नहीं
बुजुर्गों की जुबानी विभाजन की कहानियां आज भी सिहरन पैदा कर देती हैं। किसी ने अपने गांव की मिट्टी आखिरी बार छूकर साथ रखी, तो कोई भीड़ में अपने प्रियजन से हमेशा के लिए बिछड़ गया। रेलगाड़ियां लाशों से भरी आती थीं, और लोग हफ्तों तक अनिश्चितता में जीते रहे। यह घटनाएं सिर्फ इतिहास की किताबों में नहीं, बल्कि लोगों के दिलों में हमेशा दर्ज हैं।
विभाजन की सीख
विभाजन ने हमें सिखाया कि नफरत और हिंसा केवल विनाश लाती है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि समाज में सौहार्द, एकता और समझ बनाए रखना क्यों जरूरी है। आज जिस स्वतंत्र भारत में हम जी रहे हैं, वह आसानी से नहीं मिला। इसके लिए अनगिनत बलिदान हुए, सिर्फ इस लिए कि हम बेहतर जीवन जी सकें और एक स्वतंत्र देश में सांस ले सकें। इसलिए इस भारत को संजोना और इसकी कद्र करना जरूरी है। आजादी की कीमत कितनी भारी थी और इसे बनाए रखने के लिए हमें कितना सतर्क रहना होगा, यह आने वाली पीढ़ियों को जानना चाहिए।
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस केवल अतीत को याद करने का दिन नहीं है, बल्कि यह हमारे लिए एक चेतावनी भी है। हमें इतिहास से सबक लेना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियां दोबारा न हों। यह दिन उन सभी लोगों के प्रति सम्मान का प्रतीक है जिन्होंने अपना घर, परिवार और जीवन खोकर भी आगे बढ़ने की ताकत पाई।


