न्यूयॉर्क की 39 वर्षीय कोर्टनी काफी समय से परेशान थीं। थकान, बदन दर्द, रैशेज और अजीब सी तकलीफ ने उनकी रोजमर्रा की ज़िंदगी मुश्किल कर दी थी। कई डॉक्टरों से दिखाया, कई टेस्ट करवाए। कुछ ने कहा कि उन्हें कोई ऑटोइम्यून बीमारी है, तो कुछ ने आर्थराइटिस का शक जताया। लेकिन असली वजह किसी ने भी नहीं पकड़ी।
कोर्टनी का दिल कह रहा था कि मामला इससे कहीं गंभीर है। जब डॉक्टरों की रिपोर्ट से उन्हें संतुष्टि नहीं मिली, तो उन्होंने उम्मीद से एक कदम उठाया, उन्होंने ChatGPT से सलाह ली। उन्होंने अपने सारे लक्षण इस एआई चैटबॉट को लिखकर भेजे।
जो जवाब आया, उसने उन्हें चौंका दिया। ChatGPT ने न तो ऑटोइम्यून बीमारी कही, न ही आर्थराइटिस। बल्कि उसने खून से जुड़ी एक गंभीर बीमारी, एक्यूट मायलॉइड ल्यूकेमिया (Acute Myeloid Leukemia) का संकेत दिया। यह बात थी 2023 की।
ठीक एक साल बाद, जब उनकी तबीयत और बिगड़ी और और टेस्ट कराए गए, तो डॉक्टरों ने आखिरकार पुष्टि कर दी, कोर्टनी को वाकई एक्यूट मायलॉइड ल्यूकेमिया था। यानी वही बीमारी, जिसका शक ChatGPT ने सबसे पहले जताया था।
कोर्टनी आज कहती हैं, “ChatGPT ने मेरी जान बचाई।” उसने उनका इलाज नहीं किया, लेकिन सही दिशा जरूर दिखाई, जब डॉक्टर्स सही रास्ता नहीं पकड़ पा रहे थे।
इस घटना ने अब एक बड़ी बहस छेड़ दी है। क्या एआई भविष्य में बीमारियों की पहचान इंसानों से पहले कर पाएगा? मेडिकल विशेषज्ञ साफ कहते हैं कि एआई कभी भी डॉक्टर की जगह नहीं ले सकता। लेकिन शुरुआती संकेतों को पकड़ने में यह मददगार हो सकता है, इस पर वे भी सहमत हैं।
कोर्टनी का मामला इस बात का उदाहरण है कि इंसानी समझ और टेक्नोलॉजी साथ चलें, तो बेहतर नतीजे मिल सकते हैं। यह कहानी आज वायरल हो चुकी है, और सवाल भी खड़े कर रही है, क्या भविष्य में हमारी सेहत की पहली सलाह मशीनें देंगी?


