ज़रूरी नहीं कि हर बार सोना सिर्फ चमक बिखेरे, कभी-कभी सोचने पर भी मजबूर कर देता है। हाल ही में भारत में सोने की क़ीमत 10 ग्राम पर ₹1 लाख के पार पहुंच गई, इतिहास में पहली बार। हालांकि अब ये थोड़ी नीचे आकर ₹98,500 के आसपास टिक गई है। अब निवेशकों के मन में सवाल उठ रहा है की क्या सोना बेचें, बनाए रखें या और खरीदें?
सोना क्यों भाग रहा है?
वैश्विक बाज़ार में हलचल, ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव और भू-राजनीतिक तनाव, इन सबका सीधा असर सोने की मांग पर पड़ रहा है। निवेशकों को जहां अस्थिरता दिखती है, वहां सोने में सुरक्षा नजर आती है। जानकार मानते हैं कि जब तक ये हालात शांत नहीं होते, तब तक सोने की रफ्तार थमने वाली नहीं।
निवेशकों की चाल क्या होनी चाहिए?
ऐक्सिस सेक्यूरिटीस के वरिष्ठ रिसर्च एनालिस्ट, देवया गग्लानी बताते हैं कि इस साल सोने ने शानदार रिटर्न दिया है, देश में 25% और अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी मार्केट में 30% तक। लेकिन साथ ही वह चेतावनी भी देते हैं कि सोना अभी ‘ओवरबॉट ज़ोन’ में है, यानि अल्पकालिक गिरावट की संभावना बनी हुई है।
- लंबी अवधि के निवेशक: अगर आपने पहले से सोना लिया हुआ है, तो उसे बनाए रखना समझदारी है। ये मुद्रास्फीति और रुपये की गिरावट के खिलाफ एक मजबूत कवच है।
- छोटे समय के ट्रेडर: मौजूदा स्तर पर 30-40% मुनाफा बुक करना सही रहेगा। कीमतें नीचे आएं तो फिर से एंट्री लें।
- नए खरीदार: थोड़े इंतज़ार में रहें। ₹99,500 एक अहम रेजिस्टेंस है। अगर सोना ₹1 लाख के ऊपर टिकता है, तो ₹1,03,000–₹1,05,000 तक का रास्ता खुल सकता है।
अक्षय तृतीया और शादी का सीजन
30 अप्रैल को अक्षय तृतीया है और साथ ही शादियों का मौसम भी शुरू हो गया है। ऐसे में पारंपरिक रूप से सोने की मांग बढ़ जाती है। लेकिन Senco Gold के सुवंकर सेन कहते हैं कि ऊंची कीमतों ने ग्राहकों को थोड़ा सतर्क बना दिया है। लोग अब बड़े गहनों की बजाय छोटे-छोटे आइटम्स ले रहे हैं।
क्या जल्द ही कीमतें नीचे आएंगी?
अनुभवी निवेशक नरेश कटारिया का कहना है कि सोना बहुत तेज़ी से चढ़ा है, 200-दिन के एवरेज से 25% ऊपर। ऐसे में एक तात्कालिक करेक्शन संभव है। लेकिन लंबी अवधि में तस्वीर अभी भी बुलिश है, खासकर जब दुनियाभर के सेंट्रल बैंक सोना खरीद रहे हों।
ऐन्जल वन के तेजस शिगरेकर बताते हैं कि ₹1 लाख एक मनोवैज्ञानिक स्तर है। अगर अमेरिका में ब्याज दरों में नरमी आती है, तो सोने में 5-10% की गिरावट आ सकती है, जो कि ‘डिप में खरीद’ का बढ़िया मौका हो सकता है।
सोना बनाम शेयर: समझदारी किसमें?
कटारिया मानते हैं कि सोने की तेज़ी शेयर बाजार के लिए नुकसान नहीं बल्कि फायदे की बात है। भारतीय परिवारों के पास जितना सोना है, वो देश की GDP के बराबर बैठता है। जब इसकी क़ीमतें बढ़ती हैं, तो लोगों को ‘वेल्थ इफेक्ट’ महसूस होता है, जिससे खरीदारी बढ़ती है और शेयर बाजार को भी सपोर्ट मिलता है।
सोने की रैली अभी खत्म नहीं हुई, लेकिन उतार-चढ़ाव जारी रहेगा। ऐसे में जल्दबाज़ी न करें। निवेश को संतुलित रखें, सोने के साथ स्टॉक्स भी मिलाकर चलें। समझदारी की चमक, सोने की चमक से कहीं ज्यादा कीमती होती है।
चाहें खरीदारी हो या बेचने का मन, फैसला सोच-समझकर लें।


