आज जब लोगों ने गूगल खोला, तो उन्हें एक प्यारा सरप्राइज़ मिला — गूगल के होमपेज पर भारतीयों के लिए एक खास सरप्राइज नजर आया — जहाँ दुनिया के सबसे लोकप्रिय दक्षिण भारतीय व्यंजन इडली को समर्पित डूडल दिखाया गया। मुलायम, फूली हुई और चटनी के साथ परोसी जाने वाली यह पारंपरिक डिश आज गूगल के डूडल की शान बनी हुई है।
इस बार का डूडल भारत के पारंपरिक साउथ इंडियन थाली की तरह डिज़ाइन किया गया था — केले के पत्ते पर सजी गरमागरम इडलियाँ, कुरकुरे वड़े, नारियल की चटनी और सांभर के साथ। यह सिर्फ़ एक खूबसूरत डिजाइन नहीं था, बल्कि एक भावनात्मक आदराजंलि थी भारतीय खाने की सादगी और स्वाद को।

वर्ल्ड इडली डे वैसे हर साल 30 मार्च को मनाया जाता है। तो आज यह डूडल क्यों? यह सवाल सबके मनमें आया ही होगा यह डूडल को देख के। असल में, गूगल डूडल किसी भी विशिष्ट तारीख या त्योहार पर ही नहीं बनता — कई बार ये एक सामान्य दिन पर भी निकल जाता है, सिर्फ इसलिए कि उस विषय की संस्कृति, महत्व या ब्रांड पहचान को सम्मान देना हो।
माना जाता है कि इडली की शुरुआत दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से हुई थी। आज यह सिर्फ़ साउथ इंडिया की नहीं रही, बल्कि पूरे भारत की पहचान बन चुकी है। पुराने ग्रंथों में इसका ज़िक्र 9वीं शताब्दी में भी मिलता है। एक कन्नड़ ग्रंथ में “इड्डलगे” नाम से, संस्कृत के मानसोल्लासा में “इड्डरिका” नाम से और तमिल साहित्य में “इटली” के रूप में इसका उल्लेख किया गया है। धीरे-धीरे यह दक्षिण भारतीय रसोई की सिग्नेचर डिश बन गई। भारत में हर दिन लगभग 30 से 40 लाख इडलियाँ खाई जाती हैं! सोचो, कितनी सारी सुबहें सिर्फ़ इस मुलायम डिश से शुरू होती हैं। एयरपोर्ट्स, ट्रेनों, कैफे या घरों में — इडली हर जगह मौजूद है, और हर किसी की अपनी पसंदीदा जगह होती है इसे खाने की।
इडली की सबसे बड़ी खूबी उसकी सादगी है — बस चावल और उड़द दाल से बनी, रातभर फर्मेंट की गई और सुबह भाप में पकाई गई। न तेल, न तामझाम — सिर्फ़ स्वाद, सेहत और परंपरा।फर्मेंटेशन (खमीर उठाना) इसे न सिर्फ़ हल्का और फूला हुआ बनाता है बल्कि इसके पोषक तत्वों को भी बढ़ा देता है। यही वजह है कि इसे दुनिया के सबसे हेल्दी ब्रेकफास्ट में गिना जाता है — लो कैलोरी, हाई प्रोटीन, और पूरी तरह नेचुरल।
साल 2015 में चेन्नई के एक फूड लवर ने “वर्ल्ड इडली डे” मनाने की शुरुआत की। उस दिन उन्होंने 1,300 से ज़्यादा तरह की इडलियाँ बनाई थीं और 44 किलो की एक विशाल इडली तैयार की थी! तब से हर साल 30 मार्च को यह दिन इडली प्रेमियों के नाम होता है।
आज तो इडली ने कई नए रूप भी ले लिए हैं — रागी इडली, ओट्स इडली, मिनी इडली, स्टफ्ड इडली, और यहाँ तक कि चॉकलेट इडली भी! हर रूप में इसका स्वाद अलग लेकिन थीम वही रहती है — सादगी और प्यार।
अब ज़रा कुछ दिलचस्प फैक्ट्स भी जानिए —
- भारत में हर दिन करीब 20 से 25 करोड़ इडलियाँ खाई जाती हैं!
- तमिलनाडु को इडली का जन्मस्थान माना जाता है।
- विदेशों में भी इडली की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है – खासकर लंदन, न्यूयॉर्क और सिंगापुर के कैफ़े में इसे हेल्दी इंडियन ब्रेकफास्ट के रूप में परोसा जाता है।
- इडली का नाम कभी इड्डलगे या इड्डरिका था, जो समय के साथ इडली बन गया।
- चेन्नई में एक बार एक शेफ ने 44 किलो की विशाल इडली बनाकर रिकॉर्ड बनाया था।
- इडली की 1000 से भी ज़्यादा वैरायटीज़ बनाई जा चुकी हैं — जैसे रागी इडली, ओट्स इडली, मिनी इडली, और यहां तक कि चॉकलेट इडली भी!
- नासा में भारतीय वैज्ञानिकों ने इंस्टेंट इडली मिक्स तैयार किया, ताकि अंतरिक्ष यात्री भी इसे खा सकें।
- इडली को भारत का सबसे “कंफर्टिंग फूड” कहा जाता है — क्योंकि यह बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक, हर किसी को पसंद आती है।
गूगल का यह डूडल सिर्फ़ एक डिश की कहानी नहीं बताता, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे सादगी में भी संस्कृति छिपी होती है। इडली अब सिर्फ़ दक्षिण भारत का नाश्ता नहीं — यह पूरे भारत की पहचान बन चुकी है।
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