आज की तेज दौड़ धूप भारी में कूरियर सेवाएँ किसी लत की तरह हो गई हैं। एक ऐसी जीवन रेखा जो हमारी रोज़मर्रा की ज़रूरतों को बिना रुकावट पूरा करती है।
चाहे आपको भारत के किसी भी कोने में पार्सल भेजना हो या फिर अमेरिका में रह रहे रिश्तेदारों को कुछ खास पहुँचाना हो, ये सेवाएँ हर कदम पर सुविधा और भरोसा देती हैं। इनकी बढ़ती लोकप्रियता नए दौर की लॉजिस्टिक्स सोच का प्रतीक है।
अब किसी को दफ्तरों के चक्कर काटने या झंझट भरी व्यवस्थाओं से जूझने की जरूरत नहीं है।
अब सब कुछ डिजिटल हो चुका है। बस मोबाइल उठाओ, कूरियर की बुकिंग करो और अपने पैकेजों को जहां भी भेजना है, भेजदो।
इनकी सबसे बड़ी ताकत इसी रफ्तार और भरोसे में छिपी है।
बड़े कूरियर सप्लायर्स ने कस्टमर का इतना विश्वास जीता है कि पार्सल शहर के अंदर हो या देशों की सीमा पार करता हो, हर जगह सही सलामत और समय पर पहुँच जाता है।
परिवारों, छात्रों और के लिए तो अब यह सामान्य बात हो गई है। डिलीवरी ट्रैक करना, अपनी पसंद की पैकिंग चुनना और गिफ्ट्स से लेकर जरूरी सामान तक पलक झपकते भेजना। इन सेवाओं ने हमारी छोटी-छोटी जरूरतों को बेहद आसान बना दिया है।
है न?
जैसे-जैसे जीवन और व्यस्त होता जा रहा है, हमारी निर्भरता इन सेवाओं पर भी बढ़ती जा रही है। कूरियर कंपनियाँ अब भारतीय जनजीवन और दुनियाभर की संस्कृति में इस तरह घुल-मिल गई हैं कि लोगों का काफी समय बच जाता है और वे गैरज़रूरी झंझटों से मुक्त हो जाते हैं।
नतीजा?
अब पार्सल भेजना पहले से कहीं आसान और रोजमर्रा के कामों का अहम हिस्सा बन चुका है, खासकर आज की जुड़ी हुई दुनिया में।
कभी आपने सोचा है ये सब कैसे शुरू हुआ? शायद ही कभी विचार आया हो! चलिए, इस लेख में जानते हैं की कुरियर सेवा की शुरुआत कब और कैसे हुई।
शुरुआत
पहली कूरियर सेवा की कहानी हवाईजहाजों और राजमार्गों के जन्म से बहुत पहले शुरू हो गई थी।
मिस्र में, लगभग 2400 ईसा पूर्व, संदेशवाहक पत्थर पर खुदे संदेश और पिरामिड निर्माण के निर्देश लेकर दौड़कर जाते थे। यही लोग आगे चलकर कूरियर व्यापार की आधारशिला बने।
इतिहास के पन्नों में किसी एक नाम का उल्लेख नहीं मिलता।
बल्कि, अनगिनत गुमनाम संदेशवाहक और मज़दूर दस्तावेज़ और कीमती सामान दूर–दराज़ तक पहुँचाते थे, जिससे संगठित डिलीवरी की अहमियत उस समय भी साफ थी।
फिर 550 ईसा पूर्व के आसपास फारस में कूरियर व्यवस्था का बुनियादी तंत्र तैयार हुआ। खासकर महान कुरूश (Cyrus the Great) ने अंगैरियम (Angarium) नामक एक सुव्यवस्थित रिले सिस्टम शुरू किया था।
रास्ते में बनाए गए चौकियों और तेज़ घोड़ों की मदद से घुड़सवार कुरियर हज़ारों मील दूर संदेश व सामान पहुँचाते थे। ग्रीक इतिहासकार ज़ेनोफोन ने भी फारसी संदेशवाहकों की निष्ठा और निरंतरता की प्रशंसा की है।
इस सिस्टम की गति और व्यापकता आज की एक्सप्रेस डिलीवरी सेवाओं का पूर्वाभास देती थी।
फिदिपिडीज़ और मैराथन
प्राचीन ग्रीस में कूरियर सेवाओं की कहानी साहस और सहनशक्ति से जुड़ी है। सबसे प्रसिद्ध नाम है फिदिपिडीज़ (Pheidippides) का, जिन्होंन 490 ईसा पूर्व मैराथन से एथेंस तक लगभग 26 मील दौड़कर फारसियों पर जीत की खबर दी थी।
उनकी यह ऐतिहासिक दौड़ आज के ‘मैराथन’ दौड़ की प्रेरणा मानी जाती है, जिसमें न सिर्फ़ साहस बल्कि जिम्मेदारी भी दिखती है।
हेमेरोड्रोमॉय नाम के प्रशिक्षित ग्रीक धावक अपनी जान की परवाह किए बिना युद्ध या संकट के समय अत्यंत महत्वपूर्ण खबरें पहुँचाते थे।
रोम की संगठित डिलीवरी प्रणाली
प्राचीन रोम में, अगस्तस सम्राट ने 20 ईसा पूर्व के आसपास ‘कुर्सुस पब्लिकस’ नामक डिलीवरी नेटवर्क तैयार किया। इसमें घोड़ागाड़ी, रिले स्टेशन और संगठित पैदल संदेशवाहक साम्राज्य के हर कोने तक आदेश, समाचार और पार्सल पहुँचाते थे।
यह वही तंत्र है, जिसने आगे चलकर औपचारिक डाक सेवाओं की नींव रखी।
फिर इस ये तरीका अपनाया गया मध्यकाल में, और डिलीवरी का ये तरीका सीमित संसाधनों के साथ जारी रहा। राजा के राजदूत और नगर के घोषणाकर्ता, पत्र या राजाज्ञा पैदल या घोड़े पर सवार होकर दूर तक पहुँचाते थे।
इनमें से ज्यादातर को कम मेहनताना मिलता था और कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता था, लेकिन इनकी सेवा सरकार और व्यापार की रीढ़ थी।
आधुनिक कूरियर सेवा
आधुनिक कूरियर सिस्टम की नींव 15वीं सदी के अंत में पड़ी। जर्मनी के कारोबारी फ्रांज फॉन टैक्सिस ने पवित्र रोमन साम्राज्य के लिए यूरोप का पहला सुव्यवस्थित डाक नेटवर्क तैयार किया।
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी निश्चित रूट और समय, रिले स्टेशन और तयशुदा शेड्यूल। यही पेशेवर पार्सल और पत्र परिवहन की शुरुआत रही।
टर्न और टैक्सिस (Thurn und Taxis) नामक यह प्रणाली 19वीं सदी तक चली और आज की कूरियर कंपनियों के लिए मिसाल बनी।
घोड़ों से हाईटेक तक का सफर
उन्नीसवीं सदी में अमेरिका की कूरियर कंपनियों, वेल्स फार्गो (Wells Fargo) और थोड़े समय के लिए रही पोनी एक्सप्रेस (Pony Express) ने विशाल भूभागों में पार्सल, सोना और डाक पहुँचाई।
पोनी एक्सप्रेस मात्र 18 महीने चली, मगर इसने यह दिखा दिया कि मजबूत इरादों और अच्छी योजना से लंबी दूरी की डिलीवरी संभव है।
बीसवीं सदी में UPS, FedEx और DHL जैसी वैश्विक कंपनियाँ उभरीं, जिन्होंने नई टेक्नोलॉजी से तेज़, सुरक्षित और ट्रैकेबल कूरियर सेवाएँ शुरू कीं।
कूरियर सेवाएं डाक से हमेशा इसलिए अलग रही हैं, क्योंकि उनमें रफ़्तार, भरोसेमंदी और सुरक्षा ज़्यादा होती है।
आज की कूरियर कंपनियाँ ट्रैकिंग व डिलीवरी प्रूफ जैसी प्रीमियम सेवाएँ देती हैं। चाहे शहर में एक्सप्रेस डिलीवरी हो या देश के बाहर, हर कहीं ये कंपनियाँ आम लोगों और कारोबारियों के लिए जरूरी बन गई हैं।
कूरियर की कहानी भले शिकाग्र सभ्यताओं की जरूरत से शुरू हुई हो, लेकिन आज भी यह पेशा उतना ही प्रेरणादायक है और निरंतर विकसित हो रहा है।
मिस्री दूतों से लेकर फारसी रिले, यूनानी वीरों और ग्लोबल लॉजिस्टिक प्लेटफार्म्स तक कूरियर न केवल इतिहास के गवाह बने, बल्कि आज की आधुनिक दुनिया के कारोबार और संचार के केंद्र में हैं।
| काल/स्थान | प्रमुख उपलब्धि/घटना | संदेशवाहक का तरीका | ऐतिहासिक व्यक्ति/विकास |
| प्राचीन मिस्र (2400 ई.पू.) | पिरामिड निर्माण के लिए संदेश और सामग्री भेजना | दौड़ने वाले, मज़दूर | संगठित सामूहिक डिलीवरी |
| प्राचीन फारस (550 ई.पू.) | विशाल साम्राज्य में शाही रिले सिस्टम (अंगैरियम) | घुड़सवार कुरियर, रिले स्टेशन | कुरूश महान |
| प्राचीन ग्रीस (490 ई.पू.) | मैराथन कूरियर ने जीत की खबर दी | प्रशिक्षित धावक (हेमेरोड्रोमॉय) | फिदिपिडीज़, ऐतिहासिक दौड़ |
| प्राचीन रोम (20 ई.पू.) | कुर्सुस पब्लिकस सरकारी डिलीवरी नेटवर्क | घोड़ागाड़ी, पैदल संदेशवाहक | सम्राट अगस्तस, औपचारिक डाक तंत्र |
| मध्य युग (13-15वीं सदी) | राजदरबारों-व्यापार के लिए कूरियर सेवाएँ | संदेशवाहक, घुड़सवारी डिलीवरी | राजसभा के दूत |
| पवित्र रोमन साम्राज्य (1490 के दशक) | यूरोप का पहला क्रॉस-बॉर्डर डाक नेटवर्क | रिले प्वाइंट, निर्धारित मार्ग | फ्रांज फॉन टैक्सिस, टर्न और टैक्सिस |
| अमेरिका (1852–1860) | वेल्स फार्गो और पोनी एक्सप्रेस ने पार्सल सेवा शुरू की | घोड़े, रिले | सीमांत डाक सेवा |
| 20वीं सदी आगे | वैश्विक दिग्गज : UPS, DHL, FedEx | हवाई, सड़क, डिजिटल ट्रैकिंग | टेक्नोलॉजी आधारित नवाचार |
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