जून का महीना आते ही भारत में मानसून की ठंडी फुहारें शुरू हो जाती हैं। मिट्टी की सौंधी खुशबू और हरियाली के बीच यह मौसम हर किसी के दिल को भाता है। लेकिन जहां मानसून सुकून और ताजगी लाता है, वहीं यह स्वास्थ्य के लिए कई चुनौतियां भी लेकर आता है। नमी और ठंडक के कारण पाचन तंत्र कमजोर हो सकता है, सर्दी-जुकाम, वायरल बुखार, फूड पॉइजनिंग और त्वचा के इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में अपनी डाइट को मौसम के अनुकूल ढालना बेहद जरूरी है।
भारत में मुख्य रूप से तीन ऋतुएं होती हैं—गर्मी, सर्दी और बारिश। हर मौसम में खानपान को बदलकर हम अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं। मानसून में हमें ऐसी चीजें खानी चाहिए जो पचने में हल्की हों, शरीर को गर्म रखें, और इम्यूनिटी को मजबूत करें। इस लेख में हम फल, सब्जियां, नॉन-वेज और पेय पदार्थों को “क्या खाएं” और “क्या न खाएं” की श्रेणी में विस्तार से जानेंगे। साथ ही, आयुर्वेदिक सलाह और क्षेत्रीय टिप्स भी शामिल करेंगे।
फल: क्या खाएं, क्या न खाएं
मानसून में फल खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है, लेकिन सही फल चुनना जरूरी है। इस मौसम में हमें ऐसे फल खाने चाहिए जो इम्यूनिटी बढ़ाएं और पाचन को हल्का रखें।
क्या खाएं:
- अनार: अनार में विटामिन C, K और एंटीऑक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में होते हैं। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और मानसून में होने वाले वायरल इन्फेक्शन से बचाता है।
- जामुन: यह मौसमी फल पेट के लिए बेहद फायदेमंद है। जामुन में विटामिन A, C और आयरन होता है, जो खून की कमी को दूर करता है और डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- नाशपाती (पियर): नाशपाती पचने में हल्की होती है और इसमें फाइबर होता है, जो पाचन को बेहतर बनाता है। यह गले की खराश और सर्दी से राहत देती है।
- सेब: सेब में पेक्टिन फाइबर और विटामिन C होता है, जो पाचन को सुधारता है और शरीर को डिटॉक्स करता है। मानसून में इसे रोज खाना एक अच्छा विकल्प है।
- आड़ू और प्लम: ये फल एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं और त्वचा को स्वस्थ रखते हैं। इनमें पानी की मात्रा भी अच्छी होती है, जो शरीर को हाइड्रेट रखती है।
- पपीता: पपीते में विटामिन C और पपैन एंजाइम होता है, जो पाचन को बेहतर बनाता है और इम्यूनिटी को बढ़ाता है। लेकिन इसे ताजा ही खाएं।
क्या न खाएं:
- कटे हुए या खुले में बिकने वाले फल: जैसे कटा हुआ पपीता, खरबूजा या तरबूज। इनमें बैक्टीरिया और फंगस होने की संभावना ज्यादा होती है।
- ज्यादा मीठे फल: आम और लीची को अधिक मात्रा में खाने से बचें। ये नमी में बैक्टीरियल ग्रोथ को बढ़ावा दे सकते हैं और पेट में गड़बड़ी कर सकते हैं।
- केले (अगर ज्यादा पके हों): केले जल्दी सड़ सकते हैं, इसलिए इन्हें ताजा खाएं या कम मात्रा में लें।
- खट्टे फल अधिक मात्रा में: संतरे और मौसमी जैसे फल अच्छे हैं, लेकिन ज्यादा खाने से गले में खराश हो सकती है।
टिप: फलों को खाने से पहले अच्छे से धो लें। गुनगुने पानी में थोड़ा नमक डालकर फल धोने से कीटाणु मर जाते हैं।
सब्जियां: क्या खाएं, क्या न खाएं
मानसून में सब्जियां चुनते समय सावधानी बरतें। इस मौसम में ऐसी सब्जियां खाएं जो पचने में हल्की हों और शरीर को गर्म रखें। पत्तेदार सब्जियों से बचें, क्योंकि इनमें कीड़े और बैक्टीरिया होने का खतरा ज्यादा होता है।
क्या खाएं:
- लौकी: लौकी में पानी की मात्रा ज्यादा होती है और यह पचने में हल्की होती है। इसे सूप, सब्जी या जूस के रूप में ले सकते हैं। यह पेट को ठंडक देती है और डिहाइड्रेशन से बचाती है।
- तुरई (रिज गॉर्ड): तुरई फाइबर से भरपूर होती है और पाचन के लिए बहुत अच्छी है। इसे हल्के मसाले डालकर पकाएं।
- कद्दू: कद्दू में विटामिन A और C होता है, जो इम्यूनिटी को बढ़ाता है। यह शरीर को गर्म रखता है और सर्दी-जुकाम से बचाता है।
- भिंडी: भिंडी में फाइबर और फोलिक एसिड होता है। इसे हल्का भूनकर या उबालकर खाएं। यह पेट के लिए हल्की और पौष्टिक है।
- शिमला मिर्च (कैप्सिकम): इसमें विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। इसे कड़ाही में हल्का भूनकर खाएं। यह इम्यूनिटी के लिए बहुत अच्छी है।
- अदरक और लहसुन: ये दोनों चीजें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुणों से भरपूर हैं। इन्हें सब्जी में डालकर खाएं या सूप में इस्तेमाल करें।
- अरबी: अरबी में फाइबर और पोटैशियम होता है। इसे उबालकर हल्के मसाले के साथ पकाएं। यह पाचन के लिए अच्छी है।
क्या न खाएं:
- पत्तेदार सब्जियां: पालक, मेथी, बथुआ, सरसों का साग जैसी पत्तेदार सब्जियां इस मौसम में न खाएं। बारिश में इनमें कीड़े, फंगस और मिट्टी के बैक्टीरिया पनपते हैं, जो पेट के इन्फेक्शन का कारण बन सकते हैं।
- कच्ची सब्जियां: सलाद में इस्तेमाल होने वाली कच्ची सब्जियां जैसे खीरा, टमाटर, और गाजर से परहेज करें। अगर खाना ही है, तो इन्हें अच्छे से उबाल लें।
- गोभी और फूलगोभी: इन सब्जियों में बारिश के मौसम में कीड़े और बैक्टीरिया ज्यादा पनपते हैं। इन्हें खाने से फूड पॉइजनिंग का खतरा रहता है।
- आलू (अधिक मात्रा में): आलू पचने में भारी हो सकता है। इसे कम मात्रा में और दूसरी हल्की सब्जियों के साथ मिलाकर खाएं।
टिप: सब्जियों को अच्छे से धोएं और उबालकर या भूनकर खाएं। कच्चा खाने से बचें।
नॉन-वेज: क्या खाएं, क्या न खाएं
अगर आप नॉन-वेज खाते हैं, तो मानसून में हल्का और गर्म तासीर वाला नॉन-वेज चुनें। इस मौसम में ताजगी पर विशेष ध्यान देना जरूरी है।
क्या खाएं:
- चिकन सूप: चिकन सूप में अदरक, लहसुन, काली मिर्च, हल्दी और लौंग डालकर बनाएं। यह शरीर को गर्म रखता है, सर्दी-जुकाम से राहत देता है और पाचन को हल्का रखता है।
- मटन (हल्की ग्रेवी में): मटन में प्रोटीन और आयरन होता है, जो शरीर को ताकत देता है। इसे हल्के मसाले जैसे काली मिर्च, लौंग और दालचीनी के साथ धीमी आंच पर पकाएं।
- अंडे: उबले अंडे या हल्का मसाला ऑमलेट इस मौसम में अच्छा विकल्प है। अंडों में प्रोटीन और विटामिन D होता है, जो हड्डियों को मजबूत करता है।
- रोस्टेड चिकन (घर पर बना): चिकन को हल्के मसाले के साथ ओवन में रोस्ट करें। यह तला हुआ नहीं होता, इसलिए पचने में आसान है।
क्या न खाएं:
- समुद्री मछली: मानसून में समुद्री मछलियों से बचें। इस मौसम में मछलियां जल्दी खराब हो सकती हैं, और समुद्र तटों पर प्रदूषण के कारण इनमें बैक्टीरिया होने का खतरा रहता है।
- बासी नॉन-वेज: मानसून में नमी के कारण खाना जल्दी खराब हो जाता है। बासी मांस, ग्रेवी या फ्रोजन नॉन-वेज से फूड पॉइजनिंग हो सकती है।
- ज्यादा तला हुआ नॉन-वेज: जैसे चिकन 65, फ्राइड फिश या तंदूरी (बाहर से मंगवाया हुआ)। बाहर का तला हुआ खाना साफ-सफाई के अभाव में इन्फेक्शन का कारण बन सकता है।
टिप: नॉन-वेज को हमेशा ताजा पकाएं और अच्छे से धोकर, पूरी तरह से पकाकर खाएं।
हेल्दी पेय और आयुर्वेदिक सलाह
मानसून में पेय पदार्थों का सही चुनाव भी सेहत के लिए जरूरी है। आयुर्वेद के अनुसार, इस मौसम में शरीर में वात और कफ दोष बढ़ता है, इसलिए गर्म और हल्के पेय पदार्थों को प्राथमिकता दें।
हेल्दी पेय:
- हर्बल चाय: अदरक, तुलसी, काली मिर्च, लौंग और दालचीनी वाली हर्बल चाय पिएं। यह सर्दी-जुकाम से बचाती है और इम्यूनिटी बढ़ाती है।
- गुनगुना पानी: पूरे दिन गुनगुना पानी पिएं। इसमें नींबू और शहद डालकर पीना और भी फायदेमंद है। यह शरीर को डिटॉक्स करता है।
- हल्दी वाला दूध: रात को सोने से पहले हल्दी वाला दूध पिएं। हल्दी में एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो इन्फेक्शन से बचाते हैं।
- काढ़ा: आयुर्वेदिक काढ़ा जिसमें तुलसी, अदरक, काली मिर्च, और गुड़ शामिल हो, दिन में एक बार जरूर पिएं। यह शरीर को गर्म रखता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
आयुर्वेदिक सलाह:
- हल्का भोजन करें: आयुर्वेद के अनुसार, मानसून में अग्नि (पाचन शक्ति) कमजोर होती है। इसलिए भारी और तैलीय भोजन से बचें।
- गर्म मसाले डालें: भोजन में काली मिर्च, लौंग, दालचीनी, और हल्दी जैसे गर्म मसाले डालें। ये पाचन को बेहतर बनाते हैं और शरीर को गर्म रखते हैं।
- खट्टे और ठंडे पदार्थों से बचें: दही, छाछ, और ठंडे पेय पदार्थ कफ को बढ़ा सकते हैं। इन्हें कम मात्रा में लें या टालें।
क्षेत्रीय मानसून डाइट टिप्स
भारत में अलग-अलग क्षेत्रों में मानसून का प्रभाव और खानपान की आदतें अलग होती हैं। कुछ क्षेत्रीय टिप्स जो आपकी डाइट को और बेहतर बना सकते हैं:
- पश्चिम भारत (महाराष्ट्र, गुजरात): महाराष्ट्र में मानसून के दौरान “भाकरी” (ज्वार या बाजरे की रोटी) और “पिथला” (बेसन से बनी हल्की सब्जी) खाई जाती है। यह पचने में हल्का और पौष्टिक है। गुजरात में “उंधियू” की जगह हल्की सब्जियां जैसे लौकी और तुरई की सब्जी पसंद की जाती है।
- दक्षिण भारत (केरल, तमिलनाडु): दक्षिण भारत में नारियल तेल का उपयोग कम करें, क्योंकि यह ठंडा होता है। इसके बजाय अदरक और काली मिर्च डालकर रसम या सांभर बनाएं।
- उत्तर भारत (उत्तर प्रदेश, पंजाब): उत्तर भारत में मक्के की रोटी और हल्की दाल खाएं। मसालेदार और तली हुई चीजों से बचें।
- पूर्वी भारत (पश्चिम बंगाल, ओडिशा): बंगाल में मछली खाने की परंपरा है, लेकिन मानसून में ताजी मछली का ही उपयोग करें और उसे अच्छे से पकाएं। ओडिशा में “पखाला भात” (पानी में भिगोया हुआ चावल) खाया जाता है, लेकिन इसे ताजा ही खाएं।
मानसून में हाइजीन टिप्स
- खाना ताजा बनाएं: बारिश में नमी के कारण खाना जल्दी खराब हो जाता है। हमेशा ताजा भोजन बनाएं और बासी खाने से बचें।
- साफ-सफाई का ध्यान रखें: फल, सब्जियां और नॉन-वेज को अच्छे से धोएं। गुनगुने पानी में नमक या विनेगर डालकर धोना सबसे अच्छा है।
- पानी उबालकर पिएं: मानसून में पानी से होने वाले इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा होता है। हमेशा उबला हुआ या फ़िल्टर किया हुआ पानी पिएं।
- रसोई को साफ रखें: रसोई में नमी को नियंत्रित करें, ताकि बैक्टीरिया और फंगस न पनपें।
मानसून में किन चीजों से बचें?
- स्ट्रीट फूड: पकौड़े, समोसे, चाट और गोलगप्पे जैसे स्ट्रीट फूड से परहेज करें। इनमें साफ-सफाई की कमी के कारण इन्फेक्शन का खतरा रहता है।
- आइसक्रीम और ठंडे पेय: ये गले में खराश और सर्दी का कारण बन सकते हैं।
- ज्यादा मिर्च-मसाले या तला हुआ खाना: ये पाचन को भारी बनाते हैं और पेट में गड़बड़ी कर सकते हैं।
निष्कर्ष
मानसून का मौसम जितना खूबसूरत है, उतना ही सावधानी बरतने की जरूरत भी है। सही खानपान और हाइजीन का ध्यान रखकर आप इस मौसम का पूरा आनंद ले सकते हैं। फल, सब्जियां, नॉन-वेज और पेय पदार्थों का सही चयन न केवल आपकी सेहत को बनाए रखेगा, बल्कि आपको मानसून की हर बूंद का मजा लेने में भी मदद करेगा।
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