श्रावण का महीना शहर की भागदौड़ में भी एक धार्मिक ठहराव लेकर आता है। मंदिरों की घंटियों की धुन, बेलपत्र की महक और ‘ॐ नमः शिवाय’ का मंत्र, यह सब मिलकर शहर को शिवमय कर देते हैं।
हालांकि देश के अलग-अलग हिस्सों में श्रावण की शुरुआत अलग तारीखों पर होती है, पर आस्था हर जगह एक समान होती है। उत्तर भारत में यह पूर्णिमा से शुरू होता है, जबकि महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में अमावस्या से।
श्रावण केवल व्रत और पूजा का महीना नहीं, यह शिव से जुड़ने का एक मौका है। और मुंबई जैसे महानगर में भी, जहाँ रफ्तार कभी नहीं रुकती, वहां कुछ ऐसे मंदिर हैं जो इस महीने में खास महत्व रखते हैं।
शिव और श्रावण का संबंध
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला तो देवता और असुर दोनों घबरा गए थे। तब भगवान शिव ने उसे पी लिया ताकि सृष्टि बच सके। यही कारण है कि उन्हें नीलकंठ कहा जाता है। इस घटना की याद में श्रावण मास में लोग शिव की विशेष पूजा करते हैं। सोमवार को व्रत रखते हैं, जल और दूध अर्पण करते हैं, और शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हैं।
मुंबई के प्रमुख शिव मंदिर
भागदौड़ वाली ज़िंदगी में ये मंदिर जैसे एक ठहराव हैं। कुछ जंगलों में छिपे हैं, तो कुछ शहर के कोनों में वर्षों से खामोशी से बसे हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ प्रसिद्ध और प्राचीन शिव मंदिरों के बारे में, जहां श्रावण में जाना एक खास अनुभव बन सकता है।
- शिव मंदिर/अंबरेश्वर मंदिर, अंबरनाथ
स्थान: अंबरनाथ रेलवे स्टेशन के पास
खास बात: 11वीं शताब्दी का यह मंदिर काले पत्थर से बना है और हेमाडपंथी स्थापत्य का शानदार उदाहरण है। वालधुनी नदी के किनारे स्थित यह मंदिर शिल्पकला का जीवंत रूप है।
- बाबुलनाथ मंदिर, चर्नी रोड
स्थान: गिरगांव चौपाटी के पास
खास बात: एक छोटी पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर हर सोमवार को हजारों शिवभक्तों से भर जाता है। सीढ़ियों से चढ़ते हुए मंत्रों की गूंज और दूध अर्पण की परंपरा यहां की पहचान है।
- वालेकश्वर मंदिर, मलबार हिल
स्थान: बाणगंगा टैंक के पास
खास बात: शिलाहार वंश के समय निर्मित यह मंदिर समुद्र के किनारे स्थित है। प्राचीनता, पवित्रता और शांत वातावरण इसे विशेष बनाते हैं।
- धाकलेश्वर मंदिर, महालक्ष्मी
स्थान: महालक्ष्मी मंदिर के पास
खास बात: मुंबई के सबसे पुराने मंदिरों में गिने जाने वाले इस स्थान की बनावट में कोंकणी, इस्लामी और ग्रीक शैली का सुंदर मिश्रण दिखाई देता है।
- तुंगारेश्वर मंदिर, वसई
स्थान: तुंगारेश्वर वन्यजीव अभयारण्य के भीतर
खास बात: जंगल के बीच स्थित यह मंदिर भक्तों को आध्यात्मिक शांति और प्राकृतिक सौंदर्य दोनों प्रदान करता है। श्रावण में यहां ट्रेकिंग और पूजा दोनों का अनुभव मिलता है।
- पार्लेश्वर मंदिर, विले पार्ले (पूर्व)
स्थान: हनुमान रोड, विले पार्ले स्टेशन के पास
खास बात: 12वीं सदी का यह मंदिर विले पार्ले क्षेत्र के नाम का स्रोत माना जाता है। शिव और गणेश दोनों की उपासना यहां की विशेषता है।
- तपेश्वर महादेव मंदिर, आरे कॉलोनी
स्थान: यूनिट 22, आरे कॉलोनी, गोरेगांव (पूर्व)
खास बात: आधुनिक संरचना के बावजूद यहां की शिवलिंग को लगभग 1000 वर्ष पुराना माना जाता है। यह स्थान वर्षों से आदिवासी समुदाय की श्रद्धा का केंद्र रहा है।
- मंडपेश्वर गुफाएं, बोरिवली (पश्चिम)
स्थान: माउंट पोइसर के पास, अवर लेडी ऑफ इमैक्युलेट कंसेप्शन चर्च के पीछे
खास बात: लगभग 1600 साल पुरानी यह गुफा मंदिरें शैव पंथ से जुड़ी हैं। यहां का शिवलिंग, प्राचीन मंडप और वर्षा जल संचय प्रणाली मंदिर की ऐतिहासिकता को दर्शाते हैं।
श्रावण के दौरान अपनाने योग्य साधनाएं
- सोमवार को उपवास रखें
- शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाएं
- “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें
- सात्विक भोजन करें
- मांस, प्याज और लहसुन न खाएं
- रुद्राक्ष धारण करें
मुंबई में शिवभक्ति का अपना अलग रंग है
शहर की भागदौड़ के बीच इन मंदिरों में जाकर लगता है जैसे समय थम गया हो। बारिश के बीच मंदिर की घंटियों की आवाज़ और शिवलिंग पर गिरती दूध की धार – यह अनुभव शब्दों में नहीं समाया जा सकता।
श्रावण सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, यह आत्मा के विश्राम का समय है। मुंबई के ये मंदिर सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं, ये उस विरासत के साक्षी हैं जो हमें शिव से जोड़ती है। इस श्रावण, किसी एक सोमवार को इन मंदिरों में ज़रूर जाइए। हो सकता है वहां आपको खुद से मिलने का मौका मिल जाए।