माघ मेला भारत के सबसे बड़े और प्राचीन मेलों में से एक है, जो हर साल प्रयागराज के पवित्र संगम स्थल पर आयोजित होता है। यह मेला हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद खास होता है, क्योंकि यहां तीन पवित्र नदियाँ—गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती मिलती हैं। माघ मेला के दौरान लाखों श्रद्धालु यहां संगम में स्नान कर अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेकर अपनी आस्था को मजबूत करते हैं। लेकिन माघ मेला सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह प्रयागराज की स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन के लिए भी एक बड़ी सौगात साबित होता है।
जब माघ मेला शुरू होता है, तो पूरा शहर एक तरह से त्योहार की चकाचौंध में डूब जाता है। तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की भीड़ अचानक बढ़ जाती है, जिससे स्थानीय बाजार, होटल, परिवहन, खाने-पीने और अन्य सेवाओं में भारी रौनक देखने को मिलती है। इस दौरान प्रयागराज की आर्थिक गतिविधियां आम दिनों की तुलना में कई गुना बढ़ जाती हैं। छोटे दुकानदार हों या बड़े व्यापारी, सभी को इस भीड़ से फायदा होता है। स्थानीय कारीगर अपनी कलाकृतियां लेकर आते हैं और उन्हें बेचने का सुनहरा मौका पाते हैं।
पर्यटन के लिहाज से माघ मेला एक खास अवसर होता है। केवल धार्मिक लोग ही नहीं, बल्कि देश-विदेश से आए पर्यटक भी शहर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जगहों को देखने का आनंद लेते हैं। इससे न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिलता है, बल्कि स्थानीय व्यवसायों को भी मजबूती मिलती है। कई पर्यटक माघ मेला का अनुभव लेकर लौटते हैं और अगली बार भी आने की इच्छा जताते हैं, जिससे दीर्घकालिक पर्यटन को बल मिलता है।
माघ मेले के दौरान होटल, गेस्टहाउस, अस्थायी शिविर और होमस्टे पूरी तरह से भर जाते हैं। स्थानीय लोग भी अपने घरों का हिस्सा किराए पर देते हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी होती है। परिवहन सेवाओं का दबाव भी बढ़ जाता है—बसें, रेलगाड़ियां, रिक्शा और टैक्सी लगातार यात्रियों को लेकर चलते हैं, जिससे वाहन चालकों की आमदनी बढ़ जाती है।
खाने-पीने के व्यवसायों पर भी माघ मेला गहरा असर डालता है। स्थानीय भोजनालयों और स्टॉलों पर लोगों की भीड़ लगी रहती है, खासकर माघ के इस मौसम में स्थानीय पकवानों की मांग बहुत बढ़ जाती है। इससे किसान और खाद्य सामग्री के विक्रेता भी लाभान्वित होते हैं। मेला क्षेत्र में कई अस्थायी रोजगार भी पैदा होते हैं, जैसे कि स्टॉल लगाने वाले, सफाई कर्मचारी, सुरक्षा गार्ड, जो इस अवसर पर अपनी आमदनी बढ़ाते हैं।
स्थानीय हस्तशिल्प और कलाकार भी माघ मेले में अपनी कला और उत्पाद लोगों के सामने पेश करते हैं। इससे उन्हें अपनी कला के लिए अच्छी पहचान और बेहतर आमदनी मिलती है, जो आम दिनों में शायद संभव नहीं होती।
माघ मेला प्रयागराज की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा आर्थिक उत्सव है। यह त्योहार स्थानीय व्यापार, रोजगार और पर्यटन को एक साथ जोड़ता है और शहर की समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देता है। माघ मेला का असर केवल त्योहार के समय तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह दीर्घकालिक विकास में भी सहायक होता है।
माघ मेला 2026 की बात करें तो यह आयोजन 5 जनवरी से शुरू होकर लगभग 1 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान कुल दस स्नान तिथियां होंगी, जिनमें से सबसे खास दिन ‘दसंगा’ होगा, जो माघ मेले का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इन स्नान तिथियों पर लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाकर अपने पापों से मुक्त होने का प्रयास करते हैं। इसके अलावा, माघ मेला में धार्मिक अनुष्ठान, यज्ञ, पूजा, भजन-कीर्तन, कथा वाचन और योग साधना जैसे कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करते हैं।
यह मेला सामाजिक और सांस्कृतिक मेल-जोल का भी बड़ा मंच है, जहां स्थानीय कला, संस्कृति और खान-पान के स्टॉल लगे होते हैं, जो आने वाले पर्यटकों को क्षेत्रीय रंग और खुशबू से रूबरू कराते हैं।
इस प्रकार, माघ मेला 2026 एक महीना तक चलने वाला ऐसा आयोजन होगा, जो आध्यात्मिक शुद्धि के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन के लिए भी बड़ी भूमिका निभाएगा। बेहतर प्रबंधन और सुविधाओं के साथ, यह मेला प्रयागराज के आर्थिक विकास को और मजबूत करेगा। इसलिए माघ मेले को केवल एक धार्मिक पर्व के रूप में नहीं बल्कि एक आर्थिक और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में देखना चाहिए, जो पूरे क्षेत्र की समृद्धि का जरिया बनता है।
स्नान तिथियाँ इस प्रकार हैं:
| तारीख | महत्व/कार्यक्रम |
|---|---|
| 3 जनवरी 2026 | पौष पूर्णिमा, मेला और कल्पवास की शुरुआत |
| 14 जनवरी 2026 | मकर संक्रांति, दूसरा प्रमुख शाही स्नान |
| 18 जनवरी 2026 | मौनी अमावस्या, तीसरा प्रमुख स्नान |
| 23 जनवरी 2026 | वसंत पंचमी, चौथा मुख्य स्नान |
| 1 फरवरी 2026 | माघी पूर्णिमा, पांचवां प्रमुख स्नान (कल्पवासियों का मुख्य स्नान) |
| 15 फरवरी 2026 | महाशिवरात्रि, मेले का समापन व अंतिम स्नान |
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