क्या आपको यक़ीन होगा कि जिस भारत को आज दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता है, उसी भारत का एक राज्य आज तक रेल से नहीं जुड़ा था? यह सच है। मिजोरम ने 13 सितंबर को यानी आज पहली बार रेल सेवा का अनुभव किया। यह क्षण केवल एक नई ट्रेन के शुरू होने का नहीं, बल्कि पूरे राज्य की पहचान बदल देने वाला साबित हो रहा है।

सायरंग तक पहुंचने वाली यह रेल लाइन सिर्फ़ ट्रैक नहीं है, बल्कि एक सपनों का पुल है। मिजोरम के लोग लंबे समय से रेल कनेक्टिविटी का इंतज़ार कर रहे थे। अब यह सपना साकार हो गया है। यह काम उत्तर-पूर्व भारत की सबसे मुश्किल भौगोलिक परिस्थितियों में पूरा किया गया है।

व्यापार और रोज़गार को बढ़ावा

मिजोरम की ज़मीन बागवानी और खेती के लिए जानी जाती है। अदरक, संतरा और केले जैसे उत्पाद यहां खूब होते हैं। अब तक इन्हें बड़े बाज़ार तक पहुंचाना आसान नहीं था, लेकिन अब रेल सेवा से यह बाधा टूट गई है। किसान और व्यापारी अपने सामान को देशभर में भेज पाएंगे। इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और स्थानीय रोज़गार के अवसर भी पैदा होंगे।

इसके साथ ही राज्य में औद्योगिक निवेश की संभावना भी बढ़ेगी। जब परिवहन आसान होता है तो निवेशक भी अधिक आकर्षित होते हैं। यह कदम मिजोरम को आर्थिक रूप से मज़बूत बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।

नई ट्रेनों की सौगात

उत्तर-पूर्व अब विकास के नए युग की ओर बढ़ रहा है। मिजोरम को पहली रेल लाइन का तोहफ़ा मिलने के साथ-साथ तीन नई ट्रेनों को भी हरी झंडी मिली है।

  1. सायरंग–दिल्ली (आनंद विहार टर्मिनल) राजधानी एक्सप्रेस – सप्ताह में एक दिन चलेगी।
  2. सायरंग–गुवाहाटी एक्सप्रेस – रोज़ाना सेवा देगी।
  3. सायरंग–कोलकाता एक्सप्रेस – सप्ताह में तीन दिन चलेगी।

इन ट्रेनों के शुरू होने से मिजोरम सीधे देश की राजधानी और पूर्वोत्तर के बड़े केंद्रों से जुड़ गया है।

एक्ट ईस्ट पॉलिसी और पूर्वोत्तर की अहमियत

यह प्रोजेक्ट केवल मिजोरम तक सीमित नहीं है। यह ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का हिस्सा है, जिसमें पूर्वोत्तर को देश की अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों से जोड़ने पर ज़ोर दिया गया है। रेल कनेक्टिविटी से मिजोरम न सिर्फ़ भारत के अन्य हिस्सों बल्कि म्यांमार और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों से भी व्यापारिक और सांस्कृतिक रूप से जुड़ने की राह पर है।

लोगों की भावनाओं से जुड़ा दिन

मिजोरम के लोगों के लिए यह दिन सिर्फ़ विकास का नहीं बल्कि भावनाओं का भी है। पहली बार जब सायरंग स्टेशन पर ट्रेन की सीटी गूंजी तो हजारों लोग खुशी से झूम उठे। जिन बच्चों ने अब तक ट्रेन को सिर्फ़ किताबों और टीवी पर देखा था, उन्होंने अपनी आंखों से उसे गुजरते हुए देखा। बुज़ुर्गों के लिए यह सपना पूरा होने जैसा था।

मिजोरम में रेल लाइन का आना आने वाले समय में यहां के उद्योग, कृषि और पर्यटन के लिए नई संभावनाएं खोलेगा। राज्य के बांस और हस्तशिल्प उत्पाद अब आसानी से बड़े बाज़ारों तक पहुंच पाएंगे। साथ ही युवाओं को शिक्षा और रोज़गार के लिए बेहतर अवसर मिलेंगे।

मिजोरम की धरती पर रेल की गूंज इतिहास का हिस्सा बन चुकी है। यह सिर्फ़ एक ट्रैक या ट्रेन नहीं है, बल्कि उस सोच का प्रतीक है जिसमें हर राज्य को समान विकास का अवसर मिलना चाहिए। अब मिजोरम भी आत्मविश्वास से कह सकता है कि वह भारत की रेल यात्रा का हिस्सा बन गया है।

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