अमेरिका और चीन के बीच जारी आर्थिक तनाव जल्द ही किसी नए मोड़ पर पहुंच सकता है। मंगलवार को अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने बड़ा बयान दिया कि मौजूदा टैरिफ वॉर “लंबे समय तक चलने लायक नहीं है।” उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ये स्थिति अब अस्थिर है और आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच तनाव कम हो सकता है।
वॉशिंगटन में जेपी मॉर्गन चेज़ द्वारा आयोजित एक प्राइवेट इवेंट में बोलते हुए बेसेंट ने यह भी साफ किया कि अमेरिका और चीन के बीच कोई औपचारिक बातचीत अब तक शुरू नहीं हुई है। यानी दबाव तो है, लेकिन डीलिंग की मेज़ पर अभी कोई नहीं बैठा।
टकराव क्यों बढ़ा?
पिछले हफ्ते ट्रंप प्रशासन ने अचानक चीन से आने वाले उत्पादों पर भारी-भरकम टैरिफ की नई सीरीज़ लागू कर दी। कुछ सामानों पर यह शुल्क 245% तक पहुंच गया है – यह अब तक का सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है।
व्हाइट हाउस की फैक्ट शीट के मुताबिक, ये टैरिफ इस तरह से बांटे गए हैं:
- 125% रेसिप्रोकल टैरिफ: चीन की पुरानी नीतियों के जवाब में
- 20% टैरिफ: फेंटानिल ड्रग क्राइसिस से जुड़े मामलों पर
- बाकी टैरिफ: सेक्शन 301 के तहत, जो 7.5% से लेकर 100% तक जा सकते हैं, उत्पाद के हिसाब से
व्हाइट हाउस ने कहा, “अब चीन को अमेरिका में अपने उत्पाद भेजने पर 245 प्रतिशत तक की ड्यूटी चुकानी होगी, क्योंकि उसने पहले भी इसी तरह के कदम उठाए हैं।”
ट्रंप भी बोले—हम अच्छी स्थिति में हैं
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया है। उनका दावा है कि अमेरिका, चीन के साथ किसी व्यापारिक समझौते के मामले में “बहुत अच्छी स्थिति में” है। हालांकि अभी तक न तो किसी औपचारिक समझौते के संकेत हैं और न ही दोनों देशों के बीच कोई मीटिंग तय हुई है।
जब टैरिफ इस स्तर तक पहुंच जाते हैं, तो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था हिलती है। अगर बातचीत शुरू होती है तो शायद दोनों देशों के रिश्तों में नरमी आ सकती है। लेकिन फिलहाल चीज़ें तनावपूर्ण और अनिश्चित बनी हुई हैं।