भारतीय सिनेमा, खासकर तमिल फिल्म उद्योग, आज एक गहरी क्षति से गुज़र रहा है। दिग्गज निर्माता एम. सरवनन का आज निधन हो गया, और उनके जाने से एक ऐसा अध्याय समाप्त हो गया जिसने साउथ सिनेमा को दशकों तक आकार दिया, नई दिशा दी और अनगिनत प्रतिभाओं को मंच प्रदान किया। सरवनन उन निर्माताओं में से थे जिनके लिए फिल्में सिर्फ व्यवसाय नहीं थीं, बल्कि एक निरंतर चलने वाली साधना थीं। उनका जीवन संघर्ष, सीख, अनुशासन और फिल्म निर्माण के प्रति अटूट समर्पण का प्रमाण है।

एम. सरवनन का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, जहाँ बड़े सपने देखने की कोई सुविधा नहीं थी, लेकिन उन सपनों को पूरा करने का धैर्य और जुनून जरूर था। आर्थिक साधन सीमित थे, मगर दिल में सिनेमा के प्रति आकर्षण गहरा था। बचपन में ही उन्हें फिल्मी दुनिया की चमक नहीं, बल्कि पर्दे के पीछे की मेहनत ज्यादा खींचती थी। इसी लगाव ने युवावस्था में उन्हें फिल्म स्टूडियोज की तरफ खींचा, जहाँ उन्होंने सबसे पहले छोटे-मोटे प्रोडक्शन कार्यों से शुरुआत की। यह वही समय था जब उन्होंने समझा कि एक सफल फिल्म सिर्फ कलाकारों की वजह से नहीं बनती, बल्कि निर्माता की दूरदृष्टि, टीम के साथ सामंजस्य और सही फैसलों की वजह से बनती है।

धीरे-धीरे उन्होंने प्रोडक्शन की गहराई को समझा—कहानी चुनना, निर्देशक तय करना, कलाकारों को जोड़ना, बजट संतुलित रखना और शूटिंग के हर छोटे पहलू पर नजर रखना। उन्हें पहचान मिलनी शुरू हुई क्योंकि वे हमेशा साफ-सुथरा काम करते थे और किसी भी प्रोजेक्ट में आधे-अधूरे मन से कुछ नहीं करते थे। उनकी यही ईमानदारी और प्रतिबद्धता उन्हें तमिल सिनेमा में एक भरोसेमंद नाम बनाती गई। वे अपनी फिल्मों में अनावश्यक ग्लैमर या शोर से बचते थे। कहानी और भावनाओं को प्राथमिकता देना उनका मजबूत पक्ष था।

एम. सरवनन का करियर सिर्फ सफल फिल्मों से नहीं, बल्कि नई प्रतिभाओं को मंच देने से भी पहचाना जाता है। कई बड़े कलाकार और तकनीशियन आज भी स्वीकार करते हैं कि उनके करियर की शुरुआत में सरवनन की भूमिका महत्वपूर्ण थी। वे नवोदित कलाकारों को जोखिम मानकर नहीं, बल्कि एक निवेश मानकर अवसर देते थे। यह सोच उन्हें बाकी निर्माताओं से बिल्कुल अलग बनाती थी। तमिल फिल्म इंडस्ट्री में यह खुलकर कहा जाता है कि सरवनन ने कई चेहरों को स्टारडम तक पहुंचाया और कई निर्देशकों को जीवंत करियर दिया।

उनकी फिल्मों की सबसे खूबसूरत विशेषता उनकी सादगी और संवेदनशीलता थी। वे मानते थे कि दर्शक चमक-दमक से नहीं, बल्कि ईमानदार कहानियों से जुड़ते हैं। इसी सोच ने उन्हें एक के बाद एक ऐसी फिल्में देने में सक्षम बनाया जो न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर चलीं, बल्कि दर्शकों के दिलों में भी जगह बनाई। वे बड़े बजट की होड़ से हमेशा दूर रहे। उनका विश्वास था कि अच्छा कंटेंट कभी असफल नहीं होता, और यही विश्वास उन्हें हर फिल्म में संतुलित और सूझ-बूझ भरा निर्णय लेने में मदद करता था।

हालांकि उम्र के साथ स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती गईं, लेकिन उन्होंने फिल्मों से खुद को कभी अलग नहीं किया। वे नई तकनीक, डिजिटल सिनेमैटोग्राफी और बदलते दर्शक व्यवहार को भी बारीकी से समझते थे। हैरानी की बात यह है कि अपने अंतिम समय तक भी वे फिल्म निर्माण को लेकर अपने परिवार और टीम से चर्चा करते रहे। उनका यह जज़्बा आज की पीढ़ी के फिल्मकारों के लिए प्रेरणा है—कि सीखना उम्र का मोहताज नहीं होता।

उनके निधन की खबर सामने आते ही दक्षिण भारत ही नहीं, बल्कि पूरे देश के फिल्म जगत में शोक की लहर दौड़ गई। सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में कलाकारों ने कहा कि सरवनन केवल निर्माता नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक, एक शांत ऊर्जा और एक ऐसे इंसान थे जिनके साथ काम करने का अर्थ था विश्वास और सुरक्षा। उनकी विनम्रता और सादगी ने उन्हें हर किसी का प्रिय बना दिया था। वे अपनी सफलता का कभी शोर नहीं करते थे और अपनी फिल्मों का क्रेडिट हमेशा टीम को देते थे।

विशेषज्ञों का कहना है कि एम. सरवनन जैसे निर्माता बहुत कम होते हैं—जो व्यावसायिक रूप से सफल भी हों और नैतिक रूप से आधारित भी। उनके जाने के बाद एक ऐसा खालीपन रह गया है जिसे आने वाले कई वर्षों तक भरा नहीं जा सकेगा। वे एक ऐसे दौर के प्रतिनिधि थे जहाँ निर्माता फिल्मों को दिशा देते थे, न कि सिर्फ पैसा लगाने वाले व्यापारी होते थे। उन्होंने सिनेमा को एक कला और जिम्मेदारी के रूप में देखा, यही कारण है कि आज उनका योगदान सिर्फ तमिल सिनेमा नहीं, बल्कि भारतीय सिने उद्योग की धरोहर माना जाता है।

एम. सरवनन पीछे एक समृद्ध विरासत छोड़ गए हैं—ऐसी विरासत जिसमें मेहनत, ईमानदारी और कला के प्रति सम्मान है। उनके जीवन की यात्रा इस बात का प्रमाण है कि साधारण शुरुआत से भी असाधारण ऊँचाइयाँ हासिल की जा सकती हैं। आज उनका जाना फिल्म जगत के लिए एक गहरा नुकसान है, लेकिन उनकी फिल्में, उनका दृष्टिकोण और उनका बनाया सिस्टम आने वाली पीढ़ियों को दिशा देता रहेगा।

वर्षफ़िल्म का नामभाषाभूमिकाप्रमुख बातें
1986Murattu Karangalतमिलनिर्माताएक्शन शैली में सफल प्रयोग
1989Oor Kavalanतमिलनिर्माताग्रामीण ड्रामा, अच्छी कमाई
1992Puthu Paatuतमिलनिर्मातासंगीत-प्रधान फ़िल्म, युवा दर्शकों में लोकप्रिय
1993Thiruda Thirudaतमिलसह-निर्मातामणिरत्नम निर्देशन, कल्ट फैनबेस
1994Rajadhi Raja Raja Kulothunga Raja Marthanda Raja Gambeera Kathavaraya Krishna Kamarajanतमिलनिर्माताकॉमेडी एंटरटेनर
1995Pasumponतमिलनिर्माताराष्ट्रीय पुरस्कार विजेता ग्रामीण ड्रामा
1996Periya Marudhuतमिलनिर्मातासामाजिक मुद्दों पर आधारित
1997Dharma Chakkaramतमिलनिर्मातापरिवारिक पृष्ठभूमि पर आधारित सफल फ़िल्म
1999Kannedhirey Thondrinalतमिलनिर्मातायुवाओं में सुपरहिट, म्यूजिक ब्लॉकबस्टर
2001Aanandhamतमिलनिर्मातापरिवारिक ड्रामा, बड़ी व्यावसायिक सफलता
2003Anbe Sivamतमिलसह-निर्माताकमल हासन अभिनीत, कल्ट क्लासिक
2004Madhureyतमिलनिर्माताविजय स्टारर कमर्शियल हिट
2007Guruतमिल (डब)प्रस्तुतिआलोचकों द्वारा सराही गई
2008Poi Solla Poromतमिलनिर्माताछोटे बजट की बड़ी हिट
2010Boss Engira Bhaskaranतमिलनिर्माताकॉमेडी सुपरहिट, नयनतारा–आर्य स्टारर
2012Kaathadiतमिलनिर्मातायुवा कलाकारों वाली फ़िल्म
2014Sathuranga Vettaiतमिलनिर्माताक्राइम-थ्रिलर, कल्ट स्टेटस
2015Aavi Kumarतमिलनिर्माताहॉरर–कॉमेडी
2016Meendum Oru Kadhal Kadhaiतमिलनिर्मातारोमांटिक रीमेक
2018Sathuranga Vettai 2तमिलनिर्मातालोकप्रिय फ्रेंचाइज़ का अगला भाग
2020Server Sundaramतमिलनिर्माताकॉमेडी-ड्रामा
2023Sathuranga Vettai 3तमिलनिर्माताफ्रेंचाइज़ की निरंतरता

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