भक्ति और स्वाद का संगम

गणेश चतुर्थी पर घर-घर में मोदक बनते हैं। इन्हें बप्पा को भोग लगाकर, परिवार मिलकर आनंद से खाते हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि गणेश जी को मोदक क्यों प्रिय है? यह सिर्फ मिठाई नहीं, बल्कि परंपरा, आस्था और सेहत का सुंदर मेल है। आइए, इसके पीछे के कारण समझते हैं।

पौराणिक मान्यता

पुराणों में बताया गया है कि मोदक गणेश जी का सबसे प्रिय भोग है। कहते हैं कि गुड़ और नारियल से बनी इसकी भराई उन्हें बेहद पसंद है।
मोदक ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। जैसे मोदक के भीतर मिठास छुपी होती है, वैसे ही बप्पा का ज्ञान और आशीर्वाद उनके भक्तों के लिए अमूल्य खजाना है।

आयुर्वेदिक और स्वास्थ्य कारण

मोदक स्वादिष्ट होने के साथ शरीर के लिए भी फायदेमंद है। गुड़ शरीर को ऊर्जा देता है और पाचन सुधारता है। इसमें आयरन और एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं। नारियल शरीर को ठंडक और पोषण देता है।
आजकल लोग शुगर-फ्री, ड्राई फ्रूट या ओट्स से बने मोदक भी बनाते हैं, ताकि भक्ति के साथ सेहत भी बनी रहे।

परंपरा और प्रतीकात्मकता

मोदक प्रेम और भक्ति का प्रतीक है। हिंदू परंपरा में भोग चढ़ाना अपने विश्वास और इच्छाओं को ईश्वर तक पहुंचाने का तरीका है।
कहते हैं कि मोदक का भोग लगाने से घर में शांति और सुख-समृद्धि आती है। इसे प्रेम और ध्यान से बनाना और अर्पित करना ही सबसे बड़ा महत्व रखता है।

आज के मोदक और उनकी विविधता

पहले मोदक सिर्फ भाप में पकाए जाते थे (उकडीचे मोदक)। अब चॉकलेट, ड्राई फ्रूट, नारियल और ओट्स वाले मोदक भी खूब प्रचलित हैं।
महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में मोदक प्रतियोगिताएं भी होती हैं, जहां लोग अपने रचनात्मक मोदक प्रस्तुत करते हैं।

परिवार और समाज में महत्व

मोदक बनाने से सिर्फ स्वाद नहीं बढ़ता, परिवार भी करीब आता है। बच्चे उत्साह से इसमें भाग लेते हैं और परंपरा सीखते हैं।
त्योहार का माहौल और मीठा स्वाद घर को खुशियों से भर देता है।

एक मीठी याद

इस गणेश चतुर्थी जब आप मोदक खाएं या चढ़ाएं, याद रखिए यह सिर्फ एक मिठाई नहीं। यह भक्ति, परंपरा, रचनात्मकता और स्वास्थ्य का संगम है। और सबसे बढ़कर, यह वही भोग है जो गणेश जी को सबसे प्रिय है।

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