हज मुसलमानों की सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक यात्राओं में से एक है, जिसे इस्लामी धर्म में हर उस व्यक्ति पर फर्ज माना गया है जो शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से सक्षम हो। हर साल लाखों मुसलमान दुनिया भर से सऊदी अरब के मक्का और मदीना में पहुंचते हैं। भारत से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु हज पर जाते हैं। इसे समझने के लिए इसके इतिहास, प्रक्रिया और हाल ही में शुरू हुई किस्त योजना को जानना जरूरी है।
हज की परंपरा इस्लामी इतिहास से जुड़ी है। माना जाता है कि यह यात्रा पैगंबर इब्राहिम और उनके पुत्र इस्माइल के समय से शुरू हुई थी। बाद में पैगंबर मोहम्मद ने हज के नियम और प्रक्रिया को स्थापित किया। इस्लामी कैलेंडर के अंतिम महीने जुल-हिज्जा में हज का आयोजन होता है, जिसमें कई धार्मिक कर्म शामिल होते हैं। इन कर्मों का उद्देश्य आत्मिक शुद्धि, समानता और अल्लाह के प्रति समर्पण दर्शाना होता है।
हज यात्रा की प्रक्रिया काफी व्यवस्थित और लंबी होती है। श्रद्धालु एहराम की स्थिति में आते हैं—पुरुष दो सफेद कपड़े पहनते हैं और महिलाएं सादा पोशाक। मक्का पहुंचकर काबा शरीफ का तवाफ करते हैं, जिसमें काबा के चारों ओर सात चक्कर लगाए जाते हैं। इसके बाद सफा और मरवा पहाड़ियों के बीच सई की प्रक्रिया होती है, जो हाजरा की कथा से जुड़ी है। हज का सबसे महत्वपूर्ण दिन अराफात पर्वत पर बिताया जाता है, जहां लोग इबादत करते हैं और माफी मांगते हैं। इसके बाद मुज़दलिफ़ा में रात बिताई जाती है, फिर जमरात में शैतान को पत्थर मारे जाते हैं। अंत में पशु की कुरबानी की जाती है और तवाफ-ए-इफ़ादा पूरा कर हज यात्रा समाप्त होती है।
भारत में हज कमेटी ऑफ इंडिया द्वारा यह यात्रा सरकारी तौर पर नियंत्रित और प्रबंधित होती है। इसके तहत आवेदन, चयन, हवाई यात्रा, आवास, मेडिकल सुविधाएं आदि का प्रबंध किया जाता है। परंपरागत रूप से हज का पूरा खर्च एक बार में देना पड़ता था, जो कम आय वाले लोगों के लिए बड़ी चुनौती थी।
सरकार ने इस समस्या को देखते हुए हज टिकट की कीमत पांच साल की किस्तों में जमा करने की योजना शुरू की है। इस योजना का उद्देश्य कम आय वाले यात्रियों को आर्थिक दबाव से बचाना है ताकि वे धीरे-धीरे भुगतान करके हज यात्रा का लाभ उठा सकें। इसके तहत, चयनित यात्री को पहली किस्त जमा करनी होगी और बाकी भुगतान पांच साल की अवधि में आसान किस्तों में कर सकेंगे।
आवेदन की प्रक्रिया अब पूरी तरह डिजिटल और सरल हो गई है। इच्छुक यात्री भारतीय हज समिति की आधिकारिक वेबसाइट hajcommittee.gov.in या ‘हज सुविधा’ मोबाइल ऐप पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। पहले पंजीकरण करना होगा, उसके बाद आवेदन फॉर्म भरकर आवश्यक दस्तावेज जैसे पासपोर्ट, बैंक पासबुक या कैंसिल चेक, आधार कार्ड, पैन कार्ड और ब्लड ग्रुप की रिपोर्ट स्कैन कर अपलोड करनी होती है। यदि दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड करना संभव न हो, तो भरे हुए फॉर्म का प्रिंट लेकर संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की हज समिति कार्यालय में जमा किया जा सकता है।
आवेदन के दौरान ‘पांच साल की किस्त योजना’ विकल्प चुनना होता है। इससे लोगों को आर्थिक राहत मिलती है और वे अपनी आय के अनुसार भुगतान कर सकते हैं। इससे परिवारों पर अचानक बड़ा आर्थिक बोझ नहीं आता, जिससे हज का सपना साकार करना आसान होता है।
इस योजना की सफलता के लिए आवश्यक है कि नियम स्पष्ट हों, चयन प्रक्रिया पारदर्शी हो और भुगतान की गारंटी सुनिश्चित की जाए। इससे यात्री बिना किसी संदेह या चिंता के इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। हर साल आवेदन की अंतिम तिथि अलग होती है, इसलिए समय-समय पर आधिकारिक पोर्टल या ऐप पर जांच करते रहना जरूरी है।
इस नई किस्त योजना के कारण हज यात्रा हर आर्थिक वर्ग के लिए अधिक सुलभ हो गई है। यह योजना लाखों भारतीय मुसलमानों के लिए अपनी धार्मिक यात्रा का सपना पूरा करने का मौका लेकर आई है। डिजिटल आवेदन प्रक्रिया से यात्रा की तैयारी आसान और सुरक्षित हो गई है।
हज करना हर मुसलमान का सपना होता है, लेकिन कम आय के चलते कई लोग इसे कर नहीं पाते। अगर यह किस्त योजना ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ लागू होती है, तो यह न केवल आर्थिक बोझ कम करेगी, बल्कि भारतीय मुसलमानों के लिए हज का सपना सच करने वाला महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
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