इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने हाल ही में भारत में रेवड़ी संस्कृति यानी मुफ्तखोरी की संस्कृति पर कड़ा हमला किया है। उन्होंने राजनीतिक नेताओं द्वारा दी जाने वाली मुफ्त की सुविधाओं, जैसे 200 यूनिट मुफ्त बिजली, पर सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि ये केवल तात्कालिक लाभ देती हैं और देश की असली समस्याओं का समाधान नहीं कर सकतीं। मूर्ति का कहना है कि रोजगार-सृजन और नवाचार ही भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय हैं।
रोजगार सृजन और नवाचार की अहमियत
मूर्ति का मानना है कि भारत को गरीबी से बाहर निकालने के लिए नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना जरूरी है। उन्होंने कई ऐसे उद्योगपतियों के उदाहरण दिए, जिन्होंने नवाचार और रोजगार के माध्यम से समाज में बदलाव लाया। उनका कहना है कि असली समृद्धि और विकास मुफ्त की योजनाओं से नहीं, बल्कि रोजगार सृजन से आएगा।
200 यूनिट मुफ्त बिजली पर सवाल
मूर्ति ने 200 यूनिट मुफ्त बिजली जैसी योजनाओं को राजनीतिक रणनीति करार दिया और सुझाव दिया कि सरकार को इसकी प्रभावशीलता का आकलन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि मुफ्त बिजली का उपयोग शिक्षा या किसी सकारात्मक उद्देश्य के लिए हो रहा है, तो यह फायदेमंद हो सकता है, लेकिन अगर इसका उपयोग केवल घरेलू कार्यों के लिए हो रहा है, तो इससे आर्थिक विकास में मदद नहीं मिलेगी।
दीर्घकालिक समाधान
मूर्ति के अनुसार, भारत को दीर्घकालिक समाधान चाहिए तो उसे रोजगार-सृजन और उत्पादकता पर ध्यान देना होगा। उनका कहना है कि यह मुफ्त योजनाओं की तुलना में अधिक प्रभावी साबित होगा।
निष्कर्ष
नारायण मूर्ति का यह बयान भारत को मुफ्तखोरी से दूर रहकर नवाचार और रोजगार-सृजन पर ध्यान केंद्रित करने की सीख देता है। यह सिर्फ एक मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए नहीं, बल्कि भारत को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने के लिए भी आवश्यक है।