हर साल इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना एक ज़रूरी जिम्मेदारी होती है। इस साल सरकार ने इसकी अंतिम तारीख बढ़ा दी है। अब आयकर विभाग ने रिटर्न भरने की डेडलाइन 15 सितंबर 2025 तय की है। यह छूट उन टैक्सपेयर्स के लिए है जिन पर ऑडिट की आवश्यकता नहीं है। इसका मतलब है कि नौकरीपेशा, पेंशनभोगी और छोटे व्यापारियों के पास अब कुछ और समय है। लेकिन समय मिलने से ज्यादा ज़रूरी है कि हम गलतियों से बचें। हर साल लाखों रिटर्न या तो रद्द होते हैं या नोटिस की स्थिति में पहुंचते हैं। कारण सिर्फ एक—बेसिक गलतियां। आइए समझते हैं कि वे कौन-सी दस आम गलतियां हैं, जिनसे बचकर हम टैक्स प्रक्रिया को आसान बना सकते हैं।

सबसे पहले आती है गलत ITR फॉर्म का चयन। इनकम टैक्स विभाग ने हर आय वर्ग के लिए अलग फॉर्म तय किए हैं। अगर आप नौकरीपेशा हैं, तो ITR-1 इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन अगर आपने फ्रीलांस काम या किराये से इनकम पाई है, तो आपको ITR-2 या ITR-3 चुनना होगा। गलत फॉर्म भरना रिटर्न को अमान्य कर सकता है।

दूसरी बड़ी गलती होती है — सभी इनकम स्रोत न दिखाना। बैंक से मिले ब्याज, किराया, शेयर से हुए मुनाफे या क्रिप्टो इनकम को छिपाना अब आसान नहीं रहा। सरकार ने AIS (Annual Information Statement) के जरिए हर वित्तीय लेन-देन पर नजर रखना शुरू कर दिया है। एक छोटी सी चूक से स्क्रूटनी और जुर्माने की नौबत आ सकती है।

तीसरी गलती होती है — बैंक डिटेल गलत भरना। कई लोग पुराने या बंद हो चुके खातों की जानकारी भर देते हैं। इससे रिफंड गलत अकाउंट में जा सकता है या रिफंड फेल हो सकता है। सही खाता संख्या, IFSC कोड और खाता धारक का नाम जांचकर भरना ज़रूरी है।

चौथी गलती है — PAN और Aadhaar को लिंक न करना। अगर आपका PAN Aadhaar से लिंक नहीं है, तो ITR अमान्य माना जा सकता है। जिनका लिंकिंग अब तक नहीं हुआ, उनका PAN निष्क्रिय हो चुका है। यह केवल ITR के लिए नहीं, बैंकिंग सुविधाओं के लिए भी ज़रूरी है।

पांचवीं आम गलती है — AIS और फॉर्म 26AS की अनदेखी। दोनों दस्तावेज यह दिखाते हैं कि कहां-कहां से आपकी इनकम हुई है और कितना TDS कटा है। कई बार इनसे मेल न खाने पर ITR रिजेक्ट हो सकता है या आयकर विभाग नोटिस भेज सकता है।

छठी गलती — सेल्फ असेसमेंट टैक्स न भरना। यदि आपके ऊपर बकाया टैक्स बनता है और आपने उसे भरा नहीं, तो ITR अधूरा माना जाएगा। उदाहरण के लिए अगर आपका ₹12,000 टैक्स बनता है लेकिन केवल ₹9,000 TDS कटा है, तो ₹3,000 सेल्फ असेसमेंट टैक्स देना ज़रूरी है।

सातवीं भूल — ITR किसी एजेंट से भरवाना और बिना जांचे सबमिट कर देना। कई लोग कैफे या एजेंट पर निर्भर रहते हैं, और जानकारी की पुष्टि नहीं करते। ये लोग कॉपी-पेस्ट करके रिटर्न भर सकते हैं, जिससे आगे समस्या हो सकती है। आखिरकार ITR आपकी ज़िम्मेदारी है।

आठवीं चूक — इन्कम छूट मानते हुए रिटर्न न भरना। कुछ लोगों को लगता है कि ₹2.5 लाख से कम कमाई पर टैक्स नहीं है, तो रिटर्न की क्या ज़रूरत? लेकिन अगर आपका TDS कटा है और आप रिटर्न नहीं भरते, तो आप रिफंड गंवा सकते हैं। इसके अलावा रिटर्न फाइल करना वित्तीय दस्तावेज के रूप में काम आता है।

नौवीं गलती — ITR भरकर उसे वेरिफाई न करना। फॉर्म भरना ही आखिरी स्टेप नहीं है। ई-वेरिफिकेशन एक अनिवार्य प्रक्रिया है। आप इसे Aadhaar OTP, नेटबैंकिंग या डिजिटल सिग्नेचर से पूरा कर सकते हैं। बिना वेरिफिकेशन, आपका रिटर्न अधूरा रहेगा।

दसवीं और सबसे सामान्य गलती — डेडलाइन के बाद ITR फाइल करना। अब जबकि अंतिम तिथि 15 सितंबर 2025 हो गई है, फिर भी समय रहते रिटर्न भरना ज़रूरी है। देरी से फाइल करने पर ₹5,000 तक का जुर्माना लग सकता है और रिफंड पर ब्याज भी नहीं मिलेगा।

इन सभी गलतियों से बचना कठिन नहीं, बस थोड़ा सतर्क रहना है। टेक्नोलॉजी ने इसे इतना आसान बना दिया है कि आज आप अपने फोन से भी ITR फाइल कर सकते हैं। फिर भी हर कदम पर सावधानी बरतना ज़रूरी है। केवल दस्तावेज़ तैयार रखना काफी नहीं, हर इनकम और टैक्स कटौती को ध्यान से जांचना चाहिए। AIS और फॉर्म 26AS जैसे टूल्स को समझें, उनका मिलान करें और तभी रिटर्न भरें।

आज का भारत डिजिटल और पारदर्शिता की ओर बढ़ रहा है। हर आर्थिक गतिविधि पर सरकार की नजर है। ऐसे में टैक्स फाइलिंग को बोझ न समझें, बल्कि यह मानें कि आप देश के निर्माण में हिस्सेदार हैं। आपकी एक ईमानदार फाइलिंग भविष्य की सड़कों, स्कूलों और योजनाओं की नींव रखती है।

आइए, इस बार ITR फाइलिंग को एक जिम्मेदार भारतीय के कर्तव्य की तरह निभाएं। ना केवल समय पर फाइल करें, बल्कि उसे सही और ईमानदारी से भरें। क्योंकि देश तभी आगे बढ़ेगा, जब हर नागरिक अपनी आर्थिक जिम्मेदारी निभाएगा।

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