दीवाली बस आने ही वाली है। इस साल यह खूबसूरत पर्व 18 अक्टूबर से 22 अक्टूबर 2025 तक मनाया जाएगा। पाँच दिनों तक चलने वाला यह त्योहार हर भारतीय के दिल से जुड़ा है — धनतेरस से लेकर भाई दूज तक, हर दिन का अपना अलग रंग और महत्व होता है। 18 अक्टूबर को धनतेरस से शुरुआत होगी, जब घरों में खरीदारी और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। 19 अक्टूबर को छोटी दीवाली यानी नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी, जो अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है। 20 अक्टूबर को मुख्य दीवाली होगी, जब हर घर दीयों से जगमगाएगा और माँ लक्ष्मी की पूजा की जाएगी। इसके बाद 21 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा और 22 अक्टूबर को भाई दूज का पर्व परिवार के रिश्तों को और मजबूत बनाएगा।

अगर इतिहास की बात करें तो प्राचीन काल में दीवाली को “दीपमालिका” कहा जाता था, जिसका अर्थ है दीपों की श्रृंखला। उस समय यह पर्व सिर्फ राम के अयोध्या लौटने की खुशी का प्रतीक नहीं था, बल्कि फसल कटाई के मौसम और नए वर्ष के स्वागत का भी प्रतीक माना जाता था। बदलते समय के साथ दीवाली ने कई रूप बदले, लेकिन इसका मूल सार वही रहा — अंधकार से प्रकाश की ओर यात्रा।

अब 2025 की दीवाली की बात करें तो इस साल का फोकस है “इको-फ्रेंडली और सस्टेनेबल सेलिब्रेशन।” लोग अब पटाखों की जगह मिट्टी के दीयों से घरों को सजाना पसंद कर रहे हैं। मिट्टी की खुशबू, घी के दीये की लौ और फूलों की सजावट का मेल हर घर को स्वर्ग सा बना देता है। सोशल मीडिया पर भी “ग्रीन दीवाली” का ट्रेंड इस बार सबसे ज़्यादा देखा जा रहा है। युवा पीढ़ी अब पर्यावरण के साथ त्योहार मनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है — कोई हैंडमेड डेकोरेशन बना रहा है तो कोई अपने गिफ्ट्स को रिसाइकल्ड पेपर में पैक कर रहा है।

इस बार दीवाली गिफ्टिंग के ट्रेंड्स भी बदल गए हैं। जहां पहले मिठाई और सूखे मेवे सबसे आम तोहफे हुआ करते थे, वहीं अब लोग पौधे, हैंडमेड कैंडल्स, और ऑर्गेनिक चीज़ें गिफ्ट करना पसंद करते हैं। इससे न केवल पर्यावरण की सुरक्षा होती है, बल्कि एक पर्सनल टच भी जुड़ जाता है। ऐसे गिफ्ट्स जो प्यार के साथ साथ सोच को भी दर्शाते हैं, दीवाली के असली अर्थ को और गहरा बना देते हैं।

घर की सजावट में भी इस साल कुछ नया देखने को मिलेगा। रंग-बिरंगी फेयरी लाइट्स के साथ लोग अब “मिनिमलिस्ट डेकोरेशन” की ओर झुक रहे हैं। रीसाइकल्ड बोतलों से बने कैंडल स्टैंड, फूलों से बनी झालरें, और फ्लोटिंग दीयों की सजावट अब हर घर की शान बन चुकी है। और हाँ, इंस्टाग्राम और रील्स पर #DiwaliVibes2025 पहले से ही ट्रेंड में है।

दीवाली का असली अर्थ सिर्फ रोशनी से घर सजाना नहीं है, बल्कि रिश्तों को रोशनी देना भी है। इस दिन परिवार साथ बैठता है, घर में पूजा होती है, मिठाइयाँ बांटी जाती हैं और पुराने गिले-शिकवे भूलकर नई शुरुआत की जाती है। शायद यही वजह है कि यह त्योहार सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि भावनात्मक भी है — जो इंसान को अपनेपन का एहसास कराता है।

आज जब ज़माना आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है, तब भी दीवाली की पारंपरिक आत्मा जीवित है। लोग अपने तरीके से इसे आधुनिक रूप में ढाल रहे हैं, पर उसकी खुशबू वही है जो बचपन में थी — माँ के हाथों की मिठाई, पापा के साथ पटाखे, और रातभर जलते दीयों की टिमटिमाहट। 2025 की दीवाली एक नए दौर की शुरुआत है — जहाँ खुशी, संवेदनशीलता और प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी एक साथ चल रही है।

इस बार जब तुम अपने घर को सजाओ, तो कोशिश करना कि एक दिया प्रकृति के नाम भी जलाओ। क्योंकि असली दीवाली वही है जहाँ रोशनी सिर्फ घरों में नहीं, दिलों में भी फैले।

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