इथियोपिया में हैले गुब्बी ज्वालामुखी के अचानक हुए विस्फोट का असर दूर देशों तक देखने को मिला है। इस शक्तिशाली ज्वालामुखी ने राख और धुएं का इतना बड़ा गुबार हवा में छोड़ा कि इसका असर भारत के हवाई मार्गों तक पहुंच गया। राख का गुबार करीब चौदह किलोमीटर ऊंचाई तक पहुंचा, जिसने पूर्वी अफ्रीका से लेकर खाड़ी देशों और फिर भारत तक के हवाई मार्गों में गंभीर जोखिम पैदा कर दिया। इसके चलते भारतीय एयरलाइन्स एयर इंडिया और अकासा एयर ने यात्री सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अपनी कई उड़ानें रद्द कर दीं।
एयर इंडिया ने बताया कि उसने सोमवार और मंगलवार को कुल ग्यारह उड़ानें रद्द की हैं। इनमें वे उड़ानें शामिल थीं, जिनके विमान पहले ज्वालामुखी विस्फोट से प्रभावित क्षेत्रों के ऊपर से होकर गुजरे थे। एयर इंडिया का कहना है कि वे उन विमानों की अतिरिक्त जांच करेंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी इंजन या सिस्टम पर राख का प्रभाव न पड़ा हो। अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में ज्वालामुखीय राख से इंजन बंद होने या गंभीर तकनीकी खराबी का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए एयरलाइन ने सतर्क कदम उठाना बेहतर समझा।
अकासा एयर ने भी अपनी खाड़ी क्षेत्रों की उड़ानों पर रोक लगा दी है। जेद्दा, अबू धाबी और कुवैत जैसे गंतव्यों की उड़ानें पच्चीस नवंबर तक के लिए अस्थायी रूप से रद्द कर दी गई हैं। अकासा एयर ने कहा कि उसकी टेक्निकल और ऑपरेशन टीम लगातार मौसम वैज्ञानिकों और अंतरराष्ट्रीय विमानन एजेंसियों की रिपोर्ट का पालन कर रही है। एयरलाइन का मुख्य उद्देश्य किसी भी यात्री या विमान को जोखिम में डाले बिना सुरक्षित उड़ान संचालन को प्राथमिकता देना है।
वहीं, भारत की विमानन नियामक संस्था डीजीसीए ने सभी एयरलाइन्स को सलाह जारी की है कि वे राख से प्रभावित क्षेत्रों के ऊपर उड़ान भरने से बचें। डीजीसीए ने यह भी कहा कि एयरलाइन्स अपने ईंधन प्रबंधन, उड़ान ऊंचाई और रास्तों की दोबारा समीक्षा करें। किसी भी तरह की इंजन समस्या या संदिग्ध तकनीकी स्थिति की तुरंत रिपोर्ट की जानी चाहिए। यह निर्देश इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि ज्वालामुखीय राख विमान के इंजन में प्रवेश कर उसे क्षतिग्रस्त कर सकती है।
मौसम विभाग ने बताया कि राख का गुबार यमन और ओमान होते हुए भारत की दिशा में बढ़ा था, लेकिन यह धीरे धीरे सीमित होता गया। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह राख हवा के रुख बदलने के साथ भारत के ऊपर से हट सकती है। फिर भी, जब तक स्थिति पूरी तरह साफ न हो जाए, विमानन कंपनियों ने एहतियात जारी रखने का फैसला किया है।
इन रद्द उड़ानों की वजह से यात्रियों को असुविधा हुई है, लेकिन एयरलाइन्स ने रिफंड, पुनः बुकिंग और वैकल्पिक उड़ानों के विकल्प उपलब्ध कराए हैं। एयरलाइन कंपनियों का कहना है कि प्राकृतिक आपदा जैसी परिस्थितियों में यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि होती है, इसलिए फैसले में देरी करना किसी जोखिम से कम नहीं होता।
यह पूरी घटना यह दिखाती है कि दुनिया के किसी भी हिस्से में होने वाली प्राकृतिक गतिविधियां अब वैश्विक विमानन पर सीधा प्रभाव डाल सकती हैं। इथियोपिया के एक ज्वालामुखी विस्फोट ने न केवल अफ्रीका बल्कि खाड़ी देशों और भारत की उड़ानों को भी प्रभावित किया। इस घटना ने एयरलाइन्स, मौसम वैज्ञानिकों और विमानन नियामकों की तत्परता और समन्वय की महत्ता को फिर से सामने रखा है।
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